Explainer: बजट 2024 के बाद सबसे ज्यादा असर घर, मकान या प्रॉपर्टी खरीदारी में देखने को मिल रहा है. दरअसल लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं कि आखिर बजट के ऐलान और आने वाले प्रॉपर्टी फ्यूचर को देखा जाए तो इस वक्त घर खरीदना ज्यादा फायदेमंद है या फिर किराए पर लेना. आप भी अगर ऐसी ही योजना बना रहे हैं तो आपके इस कंफ्यूजन को हम अपने इस लेख में दूर कर देंगे. घर का मालिक होना कई लोगों के लिए सुरक्षा और स्थायित्व का प्रतीक है, लेकिन यह अधिक लागत और लॉन्ग टर्म डेट के साथ आता है.
अगर हाउसिंग मार्केट महंगा है और आपके पास सीमित पैसे हैं तो किराए पर लेना सस्ता हो सकता है. हम इसी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और समझेंगे कि घर खरीदना और किराए पर लेना, दोनों के क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं.
घर खरीदने का भावनात्मक पहलू
घर खरीदने की बात आते ही लोग अक्सर भावनात्मक हो जाते हैं. अपने खुद के घर का सपना हर किसी का होता है. यह सपना पूरा करने के लिए लोग अपनी पूरी जिंदगी की कमाई तक लगा देते हैं. अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए सोच रहे हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी विरासत बनाना चाहते हैं तो घर खरीदना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
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क्या हैं घर खरीदने के वित्तीय पहलू
घर खरीदते वक्त सबसे बड़ा वित्तीय निर्णय डाउन पेमेंट का होता है. अगर आप घर खरीद रहे हैं और डाउन पेमेंट 20 फीसदी है, जिसका आप भुगतान कर देते हैं, तो आपके पास घर का 20 प्रतिशत ही हिस्सा होगा. इसके बाद आपको शेष 80 फीसद लागत का भुगतान करने के लिए लोन लेना होगा.
इसे ऐसे समझें, दिल्ली एनसीआर में एक 3BHK फ्लैट, जिसका साइज 1200 स्क्वायर फीट है और उसका प्रति स्क्वायर फीट का रेट 10,000 रुपए है, तो उस फ्लैट की कीमत 1.2 करोड़ रुपए होगी. अगर आप 20 फीसदी डाउन पेमेंट करके यह फ्लैट खरीदते हैं, तो आपको बैंक से लगभग 1 करोड़ रुपए का लोन लेना पड़ेगा.
इस लोन के लिए आपको 89,973 रुपए की EMI चुकानी होगी. इस तरह आप 1 करोड़ रुपए का होम लोन लेते हैं, तो आप बैंक को कुल मिलाकर 2.15 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान करना पड़ सकता है.
अब किराए पर रहने का समझें गणित
दूसरी तरफ आप 25,000 रुपए प्रति माह के रेंट पर एक 3बीएचके फ्लैट लेते हैं, तो एक साल में 3 लाख रुपए चुकाएंगे. यह हमने एक औसत माना है. अगले साल अगर मकान मालिक 10 फीसदी रेंट बढ़ाता है तो आप उस साल 3 लाख 30 हजार रुपए चुकाएंगे.
इस तरह अगर हर साल आपका रेंट 10 फीसदी बढ़ता है, जो कि शहरों में औसतन होता है तो आप 20 साल में रेंट के तौर पर कुल 1,71,82,596 यानी 1 करोड़ 71 लाख रुपए चुकाएंगे.
समझें दोनों में अंतर
घर खरीदने और किराए पर लेने के बीच का चुनाव कई बातों पर निर्भर करता है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं...
1. लागत
घर खरीदना: डाउन पेमेंट, लोन, ईएमआई, प्रॉपर्टी टैक्स, मेंटेनेंस, और अन्य खर्चे
किराए पर लेना: मासिक किराया, वार्षिक किराया वृद्धि, और शिफ्टिंग खर्च
2. लाभ
घर खरीदना: संपत्ति का स्वामित्व, दीर्घकालिक निवेश, भावनात्मक संतोष, और कर लाभ
किराए पर लेना: फ्लेक्सिबिलिटी, कम प्रारंभिक लागत, और प्रॉपर्टी मेंटेनेंस की चिंता नहीं
3. जोखिम
घर खरीदना: प्रॉपर्टी के मूल्य में कमी, उच्च ब्याज दरें, और लोन चुकाने का बोझ
किराए पर लेना: किराया वृद्धि, मकान मालिक की नीतियों में बदलाव, और स्थायित्व की कमी
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कैसे करें फैसला?
1. आर्थिक स्थिति का विश्लेषण
अगर आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत है और आप दीर्घकालिक निवेश कर सकते हैं, तो घर खरीदना एक अच्छा विकल्प हो सकता है
2. लाइफस्टाइल और प्राथमिकताएं
यदि आपकी नौकरी या जीवनशैली ऐसी है जिसमें बार-बार स्थान परिवर्तन होता है, तो किराए पर रहना बेहतर विकल्प हो सकता है.
3. भविष्य की योजनाएं
अगर आप लंबे समय तक एक ही स्थान पर रहना चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी संपत्ति बनाना चाहते हैं, तो घर खरीदना सही फैसला हो सकता है.
4. मार्केट कंडीशन
हाउसिंग मार्केट की स्थिति का भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अगर बाजार में प्रॉपर्टी की कीमतें स्थिर हैं या बढ़ रही हैं, तो घर खरीदना लाभकारी हो सकता है.