Bank nominee rules: एक आंकड़े के अनुसार, बैंकों में 78 हजार करोड़ रुपये ऐसे हैं, जो बिना दावे वाले हैं. वित्त मंत्रालय बीते काफी समय से टेंशन में है. बैंकों को इस तरह के पैसे को सेटल करने करने को जागरुकता अभियान चलाना होता है. बिना दावे वाली रकम दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. सरकार का मानना है कि जिसका पैसे है वह उसे मिल जाए या उसके परिवार को दे दिया जाए. इसके तहत केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ बैंकिंग कानूनों में बदलाव किया है. शुक्रवार को कैबिनेट ने इस पर अहम निर्णय लिया है. इसमें बड़ा बदलाव पैसे का निपटान के तरीके हैं.
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कैबिनेट का कहना है कि बड़े बदलावों में अधिक से अधिक नॉमिनी को रखना है. अब नॉमिनीज की संख्या 4 तक की जा सकेगी. यह अभी केवल एक ही है. इन पैसों पर संभव है किसी तरह का दावा कभी न ही आए . ऐसे में आने वाले समय में कुछ पैसे अनक्लेम्ड ही रह जाएं. कैबिनेट की ओर से ऐसे पैसों को लेकर यह सुझाव आया है कि ऐसे अकाउंट्स में जुड़े डिविडेंड और बॉन्ड्स के पैसे को इन्वेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर कर दिया जाए. अभी तक केवल बैंकों के शेयर ही इस मद में ट्रांसफर किए जा सकते हैं.
इसके साथ इंश्योरेंस और एचयूएफ (HUF) अकाउंट्स से पैसे निकालने से जुड़े कानून भी नरम किए जाने की बात होगी. अकाउंट्स से सक्सेसिव (Successive) नॉमिनीज़ और सिम्युलटेनियस (Simultaneous) नॉमिनीज को पैसे निकालने की अनुमति होगी. अभी तक इसे लेकर किसी तरह की नियमावली सामने नहीं आई थी.
क्या सक्सेसिव नॉमिनेशन?
सक्सेसिव नॉमिनेशन किसे कहते हैं. आइए हम आपको बताने की कोशिश करते हैं. इसमें सीक्वेंस से अलग-अलग नॉमिनीज होते हैं. जैसे नॉमिनी A और दूसरा B. पैसों पर पहला दावा A वाले का होता है. अगर पहला नॉमिनी क्लेम नहीं करता है तो दूसरा दाव B करता है. इसमें फंड को लेते समय नामित शख्स के मौजूद रहने की जरूरत होती है.
सिम्युलटेनियस नॉमिनेशन क्या है?
यह नॉमिनेशन एक वक्त में कई लोगों को नॉमिनी बनाने की इजाजत देता है. हर नामांकित शख्स फंड में से अपने हिस्से का दावा कर सकता है. खाताधारक कई लोगों के बीच फंड्स को बांटता है.
अभी नॉमिनेशन के क्या हैं नियम
कानून के तहत सेविंग बैंक अकाउंट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FDs) को लेकर बैंक मात्र एक ही नॉमिनी रखने की इजाजत देता है. हालांकि इनकम टैक्स विभाग की ओर से हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) अकाउंट्स में चार नॉमिनी को रखने की अनुमति देता है. कुछ समय पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अकाउंट खुलवाते समय नॉमिनी का नाम भरना काफी जरूरी हो गया था. इससे पहले बिना नॉमिनी के अकाउंट भी खुल सकते थे. क्यों कि फॉर्म भरते समय इस कॉलम को भरना वैकल्पिक था.
अनक्लेम्ड राशि सही हाथों में पहुंच सकती है
नॉमिनी न होने के कारण कई अकाउंट्स में देश के बैंकों में 78,000 करोड़ रुपये रखे हुए हैं. मगर इस कोई दावा करने नहीं पहुंचा है. अधिक नॉमिनी होने के कारण मौत के बाद अनक्लेम्ड राशि सही हाथों में पहुंच सकती है. अक्सर पति पत्नी को या पत्नी पति को नॉमनी बनाती है. कार या बाइक से अगर दोनों की मौत हो जाती है तो पैसे पर क्लेम करने वाला कोई नहीं रह जाता है. ऐसे में मां, पिता, भाई और बहन को नॉमिनी बनाया जा सकता है.