(रिपोर्ट- सैय्यद आमिर हुसैन)
Toll Tax Rules: अब टोल नाकों पर आपकी टोल फीस फास्टैग से बेहतर तकनीक से कटेगी. आपकी टोल फीस, नेशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे पर अब ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम यानी GNSS जीपीएस सिस्टम लागू करने की तैयारी है. इस समय कुछ टोल नाकों पर GNSS सिस्टम लागू किया गया है, जिससे इसकी गुणवत्ता प्रभाव को चेक किया जा रहा है. उसके बाद भारत में अलग अलग प्रदेशों में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.
GNSS सिस्टम है क्या
GNSS सिस्टम जीपीएस आधारित सेंसर्ड सिस्टम है, जो आपकी कार मॉनिटर करके तय दूरी का टोल कलेक्ट करके आपको पेमेंट सिस्टम यानी आपके अकॉउंट से लिंक होकर उतना पैसा काटेगा, जितना आपकी कार ने इस्तेमाल किया. लागू होने के बाद आपकी गाड़ी में मौजूद GPS ट्रैकर की मदद से NHAI आपकी गाड़ी की एक्टिविटी को मॉनिटर करेगा और जब आप नेशनल हाईवे या एक्सप्रेस वे पर यात्रा करेंगे तो आपका चालान उतनी ही दूरी का कटेगा. जितनी की अपने नेशनल हाईवे या एक्सप्रेस वे पर यात्रा की है.
फास्टैग की जगह पर होगी GNSS लेन
फास्टैग की जगह पर होगी GNSS लेन जिसमें कोई गेट नहीं होगा इसमें माइक्रो सेकेंड्स में आपकी तेज़ रफ़्तार वाली गाडी का टोल कट जाएगा गाडी को रुकने की ज़रुरत भी नहीं होगी
चरणबद्ध तरीके से इसे लागू किया जाएगा
भारत में अभी करीब 1.5 लाख किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसमें अभी करीब 50 हज़ार किलोमीटर पर टोल टैक्स वसूला जाता है. GNSS सिस्टम लागू होने के बाद न सिर्फ पेट्रोल डीजल, सीएनजी की बचत होगी बल्कि लोगों का समय भी बचेगा. GNSS सिस्टम को कई चरणों में लागू किया जाएगा, जिसमें जून 2025 तक 2 हजार किलोमीटर और दो सालों में 50 हज़ार किलोमीटर पर GNSS लागू कर दिए जाएंगे.