Unified Pension Scheme: केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों सरकारी नौकरी के लिए नई पेंशन स्कीम का ऐलान कर दिया गया है. सरकारी कर्मचारियों के पास ऑप्शन होगा कि वह पुरानी स्कीम एनपीएस में ही रहे या फिर नई स्कीम यूनिफाइड पेंशन स्कीम यूपीएस को चुनें. मोदी सरकार की इस पेंशन स्कीम में ऐसे कई फायदे हैं जो कर्मचारियों की लाइफ रिटायरमेंट के बाद आसान बना सकते हैं. मसलन 22 साल नौकरी के बाद बेसिक सैलरी की 50 फीसदी पेंशन जैसे प्रावधान हैं. ऐसे में प्राइवेट सेक्टर्स की भी उम्मीद जगी है कि उन्हें भी इस स्कीम का फायदा मिलेगा.
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यह 2.59 लाख करोड़ की संपत्ति बन गई
हालांकि अभी केंद्र सरकार ने योजना और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन आगे चलकर निजी सेक्टर को इसमें शामिल किया जा सकता है. चलिए अब जानते हैं कि क्यों बढ़ी उम्मीदें. जानकारी के लिए बता दें कि नेशनल पेंशन स्कीम को साल 2004 में लागू किया गया था. उस समय भी स्कीम यूपीएस की तरह सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए ही थी. मगर कुछ साल बाद 2009 में निजी सेक्टर को भी इसमें शामिल कर लिया गया. यह सुपरहिट साबित हुआ. साल दर साल इसमें बढ़ोतरी होती चली गई. हर साल इसमें 28 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ देखी गई. इस साल जुलाई महीने में एनपीएस एसेट्स में 39 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई और यह 2.59 लाख करोड़ की संपत्ति बन गई.
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60 साल के बाद पेंशन
हर साल इसमें 9 लाख से ज्यादा प्राइवेट कर्मचारी जुड़ते चले गए. बीते महीने तक करीब 58 लाख कर्मचारी निजी सेक्टर से ही थे. ऐसे में इस स्कीम को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए हो सकता है कि जल्द ही इसे निजी सेक्टर में भी लागू कर दिया जाए. आपको बता दें कि एनपीएस एक स्वैच्छिक योजना है, जिसमें 18 से 60 साल की आयु वर्ग के सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों को कवर किया जाता है. बुढ़ापे में भी नियमित आय होती रहे. कर्मचारियों के जिंदगी आराम से कट जाए, इसकी चिंता सरकार को होती है. चाहे व्यक्ति बिजनेस कर रहा हो या नौकरी बुजुर्गों की जिम्मेदारी, समाज के साथ सरकार की होती है. सरकार ने उनके प्रयास के लिए कई प्रकार की योजनाएं शुरू की हैं. नेशनल पेंशन स्कीम उसी का हिस्सा है, जिसमें व्यक्ति को 60 साल पूरे होने के बाद संरक्षित आय का हिस्सा मिलना शुरू होता है. एनपीएस योजना में दो प्रकार के खाते खोले जाते हैं.