Mahakumbh 2025: अगले वर्ष होने वाला महाकुंभ का इंतजार हर कोई बेसब्री से कर रहा है. प्रयागराज में लगने वाले इस महाकुंभ को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. इस खबर से कई लोगों को निराशा हो सकती है. दरअसल बताया जा रहा है कि इस बार लगने वाले महाकुंभ में शाही स्नान नहीं किया जा सकेगा. आमतौर पर शाही स्नान को लेकर लोगों में ज्यादा उत्सुकता रहती है. माना जाता है कि इस दिन अमृत की बूंदों का ज्यादा असर हमारे जीवन में देखने को मिलता है. लेकिन महाकुंभ की तैयारियों के बीच इस बड़ी खबर ने सभी को चौंका दिया है. हालांकि पूरा मामला कुछ और है. आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
अखाड़े की ओर से लिया गया निर्णय
महाकुंभ में अखाड़ों का अपना महत्व होता है. यही कारण है कि अखाड़े की ओर से लिया गया फैसला मान्य भी होता है. दरअसल इन दिनों सभी अखाड़े महाकुंभ की तैयारियों में जुटे हैं. लेकिन इन सबके बीच अखाड़े नहीं चाहते हैं कि अब महाकुंभ में कोई भी ऊर्दू शब्द का इस्तेमाल किया जाए.
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क्या है अखाड़े का तर्क
अखाड़े चाहते हैं कि महाकुंभ 2025 में कोई भी शब्द ऊर्दू नहीं होना चाहिए. यही वजह है कि अब 'शाही स्नान' नहीं होगा बल्कि इसकी जगह इसे 'राजसी स्नान' कहा जाएगा. ऐसे में लोग इस बार शाही स्नान नहीं बल्कि राजसी स्नान कर सकेंगे. यही नहीं इसके अलावा भी कुछ शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए उनकी जगह हिंदी भाषी शब्दों को जोड़ा जा रहा है.
पेशवाई शब्द पर भी आपत्ति
अखाड़ों की ओर से पेशवाई शब्द पर भी आपत्ति उठाई गई है. अखाड़ों की ओर से विशेष रूप से जारी किए गए कार्यक्रम में इन शब्दों की जगह नए शब्दों को जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. प्रशासनिक कार्यकाल में एक सूची चस्पा की गई है. इस सूची पर नजर दौड़ाएं तो शाही स्नान की जगह राजसी स्नान लिखा गया है. जबकि पेशवाई की जगह शोभायात्रा छावनी प्रवेश शब्द का इस्तेमाल किया गया है.
निरंजनी अखाड़े का कार्यक्रम जारी
प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 को लेकर अखाड़ों के कार्यक्रम भी सामने आने लगे हैं. इन्हीं में से एक है निरंजनी अखाड़ा. निरंजनी अखाड़े की ओर से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी की ओर से कार्यक्रम जारी किए गए हैं. 20 दिसंबर को अखाड़े की रमता पंच के जितने भी नागा साधू और सन्यासी हैं वह हरिद्वार से निकलेंगे. इसके 10 दिन बाद यानी 30 दिसंबर को धर्म ध्वजा की स्थापना भी की जाएगी.
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