Shri Krishna Janmashtami 2025: गलती से जन्माष्टमी व्रत टूट जाए तो क्या करें? इन 3 आसान उपाय से मिलेगा पूरा फल

जन्माष्टमी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है. कई बार अनजाने में या कमजोरी के कारण व्रत टूट जाता है, जिससे भक्त चिंतित हो जाते हैं. अगर व्रत टूट जाए तो घबराएं नहीं, बस ये तीन आसान उपाय करें.

जन्माष्टमी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है. कई बार अनजाने में या कमजोरी के कारण व्रत टूट जाता है, जिससे भक्त चिंतित हो जाते हैं. अगर व्रत टूट जाए तो घबराएं नहीं, बस ये तीन आसान उपाय करें.

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Deepak Kumar
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है. यह पर्व हर साल कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में मथुरा की जेल में जन्म लिया था. तभी से यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए बेहद पवित्र माना जाता है. हिंदू धर्म में इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है. भक्त मानते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

व्रत कैसे रखा जाता है?

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भक्तजन इस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं या केवल जल और फलहार का सेवन करते हैं. शाम को भजन-कीर्तन और कथा का आयोजन होता है. रात 12 बजे, जब भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का समय होता है, तब जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है.

व्रत टूट जाए तो क्या करें?

अक्सर कई बार ऐसा होता है कि व्रत रखते समय अनजाने में कुछ खा लिया जाता है या कमजोरी के कारण पानी पी लिया जाता है. ऐसे में लोग चिंतित हो जाते हैं कि क्या उनका व्रत टूट गया और अब उन्हें इसका फल नहीं मिलेगा? शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत गलती से टूट भी जाए तो इसे खंडित नहीं माना जाता. भगवान श्रीकृष्ण भक्तों की भावनाओं को देखते हैं, कठोर नियमों को नहीं. यदि मन में सच्ची श्रद्धा और भक्ति हो तो भगवान हर भूल को क्षमा कर देते हैं.

व्रत टूटने पर करें ये उपाय

यदि अनजाने में व्रत टूट जाए तो तुरंत भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करें और मंत्रों का जाप करें. खासकर तुलसी की माला से कम से कम 11 बार मंत्र का जप अवश्य करें. इसके अलावा, इस दिन पीले वस्त्र या पीली वस्तुएं जैसे हल्दी, बेसन, चने की दाल आदि दान करना शुभ माना जाता है. साथ ही दिनभर भजन-कीर्तन और कथा सुनना भी व्रत के पुण्य को बढ़ाता है.

जन्माष्टमी व्रत का असली उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और आत्मसंयम है. गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने कहा है कि भक्त की भावना सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए यदि व्रत गलती से टूट भी जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है. सच्चे मन से भगवान का स्मरण करने पर व्रत का पूरा फल और उनका आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है.


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