धराली त्रासदी: मलबे में दबा कल्प केदार मंदिर, सोमेश्वर देवता के मंदिर ने बचाई सैकड़ों जिंदगी

उत्तरकाशी के धराली गांव में आई भीषण आपदा में सदियों पुराना कल्प केदार मंदिर मलबे में दब गया. यह मंदिर पांडव काल से जुड़ा माना जाता था और गंगोत्री यात्रा का अहम पड़ाव था.

उत्तरकाशी के धराली गांव में आई भीषण आपदा में सदियों पुराना कल्प केदार मंदिर मलबे में दब गया. यह मंदिर पांडव काल से जुड़ा माना जाता था और गंगोत्री यात्रा का अहम पड़ाव था.

author-image
Deepak Kumar Singh
New Update

उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा ने न सिर्फ लोगों की जिंदगी छीन ली, बल्कि सदियों पुराने कल्प केदार मंदिर को भी मलबे में दबा दिया. आपको बता दें कि यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित था और इसमें सफेद स्पेटिक पत्थर का दुर्लभ शिवलिंग स्थापित था. मान्यता है कि पांडव काल में इसकी स्थापना हुई थी और यहां दर्शन किए बिना गंगोत्री की यात्रा अधूरी मानी जाती थी.

Advertisment

रिपोर्ट्स के मुताबिक,1978 में भी ऐसी ही त्रासदी आई थी, तब भी मंदिर मलबे में दब गया था, लेकिन बाद में पुनः प्रकट हुआ था. स्थानीय लोगों का विश्वास है कि इस बार भी कल्प केदार स्वयं अवतरित होंगे. पहले यहां 240 मंदिरों का समूह था, लेकिन समय के साथ केवल यही मंदिर बचा था. यह स्थल गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव था, जहां रोजाना 1000-1200 यात्री ठहरते थे.

त्रासदी का मंजर

आपदा के दिन पहाड़ों से आया मलबा और पत्थर तेजी से बहते हुए मंदिर और आस-पास के घरों को अपने साथ ले गया. बड़े-बड़े होटल, बागान और बाजार मलबे में तब्दील हो गए. कई घर पूरी तरह बह गए, कुछ अपने स्थान से खिसककर दूसरी जगह जा पहुंचे. मंदिर की जगह अब सिर्फ पत्थर, बालू और मलबा नजर आता है.

मंदिर के पुजारी दुर्गेश पंवार ने बताया कि वह और गांव के लोग तीन साल से नियमित आरती और पूजा करते थे. उनका कहना है कि कल्प केदार की कल्पना मात्र से ही श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती थीं.

सोमेश्वर देवता का मंदिर बना सहारा

इस आपदा में सोमेश्वर देवता का मंदिर सैकड़ों लोगों की जान बचाने का कारण बना. मिली जानकारी के मुताबिक, आपदा के दिन यहां विशेष पूजा चल रही थी और गांव के कई लोग मंदिर में मौजूद थे. अगर पूजा खत्म होकर लोग बाजार लौट जाते, तो बड़ी जानहानि होती. स्थानीय मान्यता है कि यह भगवान की कृपा थी जिसने इतने लोगों को बचा लिया.

अब यह मंदिर राहत शिविर में बदल गया है. यहां आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार मदद पहुंचा रही हैं. पीड़ितों के नाम दर्ज कर उन्हें कंबल, कपड़े, तौलिए, जैकेट, गद्दे और अन्य जरूरी सामान दिया जा रहा है.

मंदिर में ही राहत केंद्र

मंदिर के भीतर ही रसोई का इंतजाम किया गया है. करीब 400 लोगों के लिए रोजाना खाना बनाया जा रहा है. भोजन में दाल, चावल, सब्जी और नाश्ते में पूड़ी दी जा रही है. यहां न सिर्फ गांव के लोग, बल्कि बाहर से आए राहतकर्मी भी भोजन कर रहे हैं.

लोग मंदिर परिसर में ही सो रहे हैं, खाना खा रहे हैं और अपनी जरूरी सामग्री संभाल रहे हैं. माहौल कठिन है, मौसम खराब है, लेकिन उम्मीद जिंदा है कि एक दिन फिर कल्प केदार मंदिर प्रकट होगा और श्रद्धालु एक बार फिर उसके दर्शन कर पाएंगे.

धराली की यह त्रासदी सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर के खोने का दर्द भी है. जहां एक ओर कल्प केदार मंदिर मलबे में दबा है, वहीं सोमेश्वर देवता का मंदिर लोगों के लिए जीवन का सहारा बना हुआ है. 


यह भी पढ़ें- धराली हादसा: कुदरत के कहर के बाद भी उम्मीद कायम, छह दिन से लापता बेटे की तलाश में भटक रहा पिता

यह भी पढ़ें- Uttarkashi Cloudburst: हर्षिल में बनी कृत्रिम झील से बढ़ा खतरा, उत्तराखंड में मंडरा रहा नया संकट

Uttarkashi Cloudburst Video Uttarkashi Cloudburst Uttarkashi Cloudburst News Uttarkashi Dharali Rescue Operation Uttarkashi Dharali Ground Report Dharali Exclusive Report dharali dharali disaster Uttarakhand
Advertisment