उत्तरकाशी आपदा: तबाही ने छीना घर-परिवार, 5 दिन बाद भी लापता अपनों की तलाश जारी

धराली की खूबसूरत वादियां, जहां कभी सूरज की पहली किरण बर्फ से ढकी चोटियों को चूमती थी, अब मलबे, टूटे ख्वाब और बिखरे घरों में बदल चुकी हैं. पहाड़ों से आए इस सैलाब ने होटल, दुकान और घर सब तहस-नहस कर दिए.

धराली की खूबसूरत वादियां, जहां कभी सूरज की पहली किरण बर्फ से ढकी चोटियों को चूमती थी, अब मलबे, टूटे ख्वाब और बिखरे घरों में बदल चुकी हैं. पहाड़ों से आए इस सैलाब ने होटल, दुकान और घर सब तहस-नहस कर दिए.

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Deepak Kumar Singh
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में आई तबाही को पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन कई परिवार अभी भी अपने लापता परिजनों का इंतजार कर रहे हैं. 5 अगस्त की दोपहर खीर गंगा का उफनता सैलाब न केवल घर और दुकानें बहा ले गया, बल्कि कई लोगों की खुशियां और सहारा भी छीन लिया. न्यूज नेशन की टीम धराली पहुंचकर इन परिवारों के दर्द को आप तक ला रही है.

मलबे का ढेर बना धराली

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धराली की खूबसूरत वादियां, जहां कभी सूरज की पहली किरण बर्फ से ढकी चोटियों को चूमती थी, अब मलबे, टूटे ख्वाब और बिखरे घरों में बदल चुकी हैं. पहाड़ों से आए इस सैलाब ने होटल, दुकान और घर सब तहस-नहस कर दिए. जिन घरों को लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई से बनाया था, वहां अब सिर्फ दलदल और मलबा बाकी है. 

प्रभावित हुए कई परिवार

इस प्राकृतिक आपदा ने कई परिवारों की जिंदगी नष्ट कर दी. इन्हीं प्रभावित परिवारों में से एक है सुमित नेगी का परिवार. सुमित खेती और बागवानी करते थे. हादसे के दिन सुबह उन्होंने अपने छोटे भाई से करीब 9:10 बजे बात की थी. दोपहर करीब 1:30 बजे उनका फोन बंद हो गया और तब से उनका कोई पता नहीं चला. परिवार ने कई जगह खोजबीन की, लेकिन नतीजा शून्य रहा.

सुमित की मां का रो-रो कर बुरा हाल है. बड़े बेटे के सहारे से चलने वाला यह घर अब उम्मीद के सहारे है. मां को अब भी विश्वास है कि बेटा कहीं न कहीं सुरक्षित होगा. लेकिन हर गुजरते दिन के साथ यह उम्मीद और दर्द दोनों बढ़ते जा रहे हैं.

धराली की गलियों में मातम पसरा है. कोई पिता को खोज रहा है, तो कोई बेटा, भाई या पति को. लोगों की आंखों में बस एक ही सवाल है- क्या हमारा अपना लौट पाएगा?

रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, अब भी है उम्मीद

आपको बता दें कि रेस्क्यू टीमें लगातार मलबे में खोजबीन कर रही हैं, लेकिन हालात मुश्किल हैं. तबाही का मंजर इतना भयानक था कि कई जगह पहुंचना भी चुनौती बना हुआ है. फिर भी प्रभावित परिवार अपनी आखिरी उम्मीद छोड़ना नहीं चाहते.

सुमित नेगी का परिवार भी यही चाहत रखता है कि एक दिन बेटा दरवाजे पर दस्तक देगा और घर फिर से खुशियों से भर जाएगा. फिलहाल धराली में सिर्फ मलबा, सन्नाटा और इंतजार है- उस दिन का, जब खोए हुए अपने लौट आएंगे.


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