ओडिशा के क्योंझर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 70 वर्षीय विकलांग महिला को अपनी वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने के लिए लगभग 2 किलोमीटर तक रेंगकर पंचायत कार्यालय पहुंचना पड़ा. पथुरी देहुरी नाम की इस बुजुर्ग महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
कठिन परिस्थितियों में पथुरी देहुरी की जद्दोजहद
पथुरी देहुरी अपनी वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर हैं और उन्हें सहारा देने वाला कोई नहीं है. उम्र और एक पिछली दुर्घटना के कारण वे चलने-फिरने में असमर्थ हो चुकी हैं. इसके बावजूद पंचायत कार्यकारी अधिकारी (PEO) ने उन्हें पेंशन लेने के लिए खुद कार्यालय आने को कहा, जिससे उनके पास रेंगकर कार्यालय तक पहुंचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. यह दर्दनाक सफर उनके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद कष्टदायक साबित हुआ. उनकी यात्रा के दौरान उनके घुटनों, पैरों और हाथों पर गंभीर छाले पड़ गए.
सरकार के निर्देशों की अनदेखी
यह घटना खासतौर पर इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि राज्य और केंद्र सरकारों के निर्देशों के अनुसार, कल्याण पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों को उनके दरवाजे पर ही पेंशन पहुंचाई जानी चाहिए, लेकिन पथुरी देहुरी के मामले में इस नियम की पूरी तरह अनदेखी की गई. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही की कड़ी आलोचना हो रही है.
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पंचायत अधिकारी की सफाई
पंचायत कार्यकारी अधिकारी से जब इस मामले में पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें पथुरी की इस परेशानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने यह भी कहा, "पहले वह खुद चलकर पेंशन लेने आती थीं, लेकिन दुर्घटना के बाद उनका परिवार या हमारा चपरासी उनके घर पर पेंशन पहुंचाता था." हालांकि, इस बार क्या कारण था कि पेंशन उनके घर नहीं पहुंचाई गई, इसका स्पष्ट जवाब अधिकारी नहीं दे पाए.
प्रशासन की निंदा और लोगों का आक्रोश
इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन की जमकर आलोचना हो रही है. लोगों ने सवाल उठाए हैं कि सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद पेंशन लाभार्थियों के साथ ऐसी अमानवीय घटनाएं कैसे हो सकती हैं. उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इस घटना से सबक लेकर ऐसी व्यवस्था करेगा कि कोई भी बुजुर्ग या विकलांग व्यक्ति दोबारा इस तरह की पीड़ा से न गुजरे.