हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रही है, जिसमें एक व्यक्ति दावा कर रहा है कि वह भारतीय सेना का एक सैनिक है. इस ऑडियो क्लिप में सैनिक अपनी कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान की स्थितियों का विवरण देते हुए यह दावा करता है कि 2006 में कांग्रेस सरकार के दौरान भारतीय सेना के हाथ कश्मीर में बांध दिए गए थे. वह यह भी बताता है कि उसकी पोस्टिंग कुपवाड़ा में हुई थी, जहां उसे पाकिस्तानी सेना द्वारा हो रही गोलीबारी का सामना करना पड़ा.
नो मोर फर्स्ट फायरिंग
सैनिक इस ऑडियो में यह आरोप लगाता है कि उस समय की सरकार ने सैनिकों को आदेश दिए थे कि अगर पाकिस्तानी सेना फायरिंग करे, तो भारतीय सेना केवल 11 एमएम से अधिक की गोलीबारी नहीं कर सकती थी. उसे यह निर्देश मिला था कि भारतीय सेना ‘नो मोर फर्स्ट फायर’ की नीति का पालन करे, जिसका मतलब यह था कि पहले हमला नहीं किया जा सकता था, भले ही पाकिस्तानी सेना लगातार मोर्टार दागे, आप सिर्फ 11एमम से ज्यादा फायर नहीं कर सकते हैं.
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ड्यूटी के दौरान करना पड़ता था सामना
इस ऑडियो में सैनिक यह भी बताता है कि उसने अपने हाथ पर 'ऊं' का टैटू बनवाया था, लेकिन कश्मीर में ड्यूटी के दौरान उसे रुमाल से ढकना पड़ता था. सैनिक का कहना है कि वहां के कश्मीरी बच्चे जब उसे देखते थे, तो उस पर पत्थर फेंकते थे. एक और गंभीर आरोप में, सैनिक ने यह दावा किया कि 26 जनवरी के दिन कश्मीर के लाल चौक पर भारतीय ध्वज के नीचे एक गाय की बलि दी गई थी और यह घटना सेना के सामने हुई थी.
मोदी सरकार में सेना को मिली है खुली छूट pic.twitter.com/tuOCJ6AaQ1
— विवेकानंद चौरसिया (@130SANATANJI) September 30, 2024
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सैनिक ने मोदी सरकार की तारीफ
सैनिक ने उस समय की कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उस दौर में भारतीय जवानों की हालत बहुत खराब थी. हालांकि, वह मौजूदा मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहता है कि अब सेना को अपने कर्तव्यों के निर्वाह में ज्यादा छूट मिली है. हालांकि, इस वायरल ऑडियो क्लिप की सत्यता की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है और भारतीय सेना की तरफ से भी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. सोशल मीडिया पर कई लोग इस ऑडियो की आलोचना कर रहे हैं और इसे राजनीति से प्रेरित प्रचार मान रहे हैं. इस वायरल क्लिप की न्यूज नेशन पुष्टि नहीं करता है. इस खबर को वायरल क्लिक के आधार पर बनाई गई है.