सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ न कुछ ऐसा देखने को मिल जाता है, जो लोगों को हैरान कर देता है. ऐसी ही एक घटना का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कुछ श्रद्धालु एक मंदिर के पीछे से बहते हुए पानी को श्रद्धा से चरणामृत मानकर पीते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग एक-एक गिलास लगाकर उस पानी की बूंदों को रोकने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे उसे आस्था के प्रतीक के रूप में ग्रहण कर सकें.
चरणामृत नहीं एसी का है पानी
लेकिन इस दौरान वहां मौजूद एक युवक सभी को सच्चाई बताने के लिए आगे आता है. युवक लोगों को बताता है कि यह पानी असल में ठाकुर जी के गर्भगृह के अंदर लगे एसी का है, न कि किसी पूजनीय स्रोत का. वह कहता है कि मंदिर के पूजारी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि यह पानी चरणामृत नहीं है. युवक की इस बात को सुनकर लोग हतप्रभ रह जाते हैं और वीडियो में उनके चेहरे पर निराशा और हैरानी स्पष्ट झलकती है.
मंदिर प्रशासन को उठाना चाहिए कदम
यह घटना धार्मिक स्थलों पर फैलती अफवाहों और अज्ञानता को उजागर करती है. श्रद्धालु अक्सर अपनी भक्ति और आस्था में इतने गहरे डूब जाते हैं कि कई बार वे बिना किसी सत्यापन के किसी भी चीज को पवित्र मान लेते हैं. वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं. कुछ लोगों ने इसे श्रद्धालुओं की मासूमियत और अंधविश्वास का नतीजा बताया है, तो कुछ ने मंदिर प्रशासन पर सवाल उठाए हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम क्यों नहीं उठाए जाते.
लोगों को करना चाहिए जागरुक
सोशल मीडिया यूजर्स इस घटना को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है कि मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर इस प्रकार की गलतफहमियों को दूर करने के लिए सही जानकारी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ताकि श्रद्धालु भ्रमित न हों. इसके साथ ही कई लोगों ने यह भी सुझाव दिया है कि धार्मिक स्थलों पर इस तरह के स्थानों पर बोर्ड लगाकर यह साफ किया जाना चाहिए कि कहां का पानी पीने योग्य है और कहां का नहीं.
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