जामिया इलाके के शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी महिलाओं को लेकर एक वीडियो बीते 24 घंटे के दौरान तेजी से वायरल हुआ है. सोशल मीडिया में इस वायरल वीडियो में दो युवक चर्चा कर रहे हैं कि प्रत्येक महिला को प्रदर्शन में आने के लिए 500 रुपये दिए जा रहे हैं. नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ सर्द मौसम में खुले आसमान तले एक महीना से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहीं महिलाओं पर तोहमत लगाए जाने के जवाब में धरने पर बैठीं 71 वर्षीय सीमा आलम ने कहा, 'हो सकता है कि 500 रुपये लेकर कोई किसी धरने में चला जाए, लेकिन यहां तो हम सभी पुलिस की गोली खाने को तैयार बैठे हैं. सीएए के खिलाफ जारी इस आंदोलन को जारी रखने के लिए हम अपनी जान देने को तैयार हैं.'
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गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर जारी किए गए इस वीडियो में कहा गया है कि शाहीनबाग में धरना दे रहीं महिलाएं शिफ्ट के हिसाब से इस धरने में आती हैं. प्रत्येक शिफ्ट के लिए हर एक महिला को 500 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. हन्हें रुपये कौन दे रहा है, न तो इसका खुलासा किया गया है और न ही इस वीडियो की सत्यता अभी साबित नहीं हो पाई है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो की चर्चा गुरुवार को शाहीनबाग में भी होती रही. प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं व उनके साथ मौजूद युवाओं ने इस वीडियो को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की.
धरने में पिछले एक महीने से आ रहीं रुखसाना अल्वी ने कहा कि वह ओखला स्थित अपने घर में बच्चों को कोचिंग देकर 30 हजार रुपये महीने से अधिक कमा रही थीं. रुखसाना का कहना है कि एक महीने से उन्होंने बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाया है, वह अपना काम छोड़कर, अपनी कमाई छोड़कर महज 500 रुपये की खातिर दिनभर सर्दी और बारिश में यहां बैठने नहीं आई हैं, बल्कि आंदोलन में शरीक होने का जज्बा उन्हें यहां खींच लाती है.
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यहां चल रहे धरने में सैकड़ों घरेलू महिलाएं भी हिस्सा ले रही हैं. कई महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी यहीं बैठे रहते हैं. अधिकांश महिलाएं किसी तरह के व्यवसाय या कामकाज से नहीं जुड़ी हैं. इनमें से एक बुजुर्ग महिला अशर्फी से जब 500 रुपये रोज दिए जाने की बात पूछी गई तो वह नाराज हो गईं और बात करने से ही मना कर दिया.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो से स्थानीय युवा इतने नाराज थे कि उन्होंने इस पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए ज्यादा पूछताछ न करने को कहा. यहां मंच के पास बैठे फैसल ने कहा कि प्रदर्शन में हर दिन अलग-अलग इलाकों से महिलाएं खुद आती हैं, यहां भीड़ जुटाने के लिए अभी तक किसी को बुलाना नहीं पड़ा है.