उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से बहुत ही शर्मनाक खबर सामने आई है. यहां एक बीमार बुजुर्ग को जिला अस्पताल ने यह कहते हुए एमबुलेंस देने से मना कर दिया कि एंबुलेंस मरीजों को लाने के लिए है, छोड़ने के लिए नहीं है. इसके बाद मजबूर बेटा अपने पिता को कंधे पर लेकर अस्पताल से 30 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा . इसी तरह चलते हुए उन्हेंने 2.5 किलोमीटर का सफर भी तय कर लिया. इसी दरमियान रास्ते में जब कुछ समाजसेवियों की नजर उन पर पड़ी तो उन लोगों ने टेंपो की व्यवस्था कर बीमार पिता और उनके पुत्र को घर तक जाने की व्यवस्था करवाई तब जाकर वह अपने घर पहुंचे.
दरअसल, गोंडा जिला (Gonda) अस्पताल ने बुजुर्ग को एंबुलेंस देने से ये कहते हुए मना कर दिया कि एंबुलेंस सिर्फ मरीज को अस्पताल लेकर आने के लिए है. यहां मरीजों को घर तक छोड़ने के लिए एंबुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल की ये बात सुनने के बाद बेटा अपने बुजुर्ग पिता को अस्पताल से करीब 30 किलोमीटर दूर कर्नलगंज के लिए पिता को कंधे पर लेकर पैदल ही चल पड़ा. हालांकि, रास्ते में कुछ समाजसेवियों ने जब उसे देखा तो उसकी मदद की. इन लोगों ने दोनों को टेंपो से घर भिजवाने की व्यवस्था की. इस घटना के सामने आने के बाद समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. सपा ने लिखा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा शासित योगी सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात कितने बिगड़े हुए हैं, यह उस स्थिति को बयां करती हुई शर्मनाक तस्वीर है.
फाइल बनाने के भी नर्स ने मांगे 100 रुपए
शिव भगवान कर्नलगंज तहसील के हलधरमऊ ब्लॉक के रहने वाले है. उन्होंने 20 मई को अपने 72 वर्षीय पिता अवबोध को गोंडा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. बताया जाता है कि शिव भगवान के पिता को सांस लेने में काफी दिक्कत आ रही थी. जिसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया. जहां से इलाज के बाद उन्हें बिना किसी व्यवस्था किए ही अस्पताल से भगा दिया. इसके साथ ही शिव भगवान ने आरोप लगाया है कि वार्ड में तैनात नर्स ने फाइल बनाने के नाम पर 100 रुपए की मांग की थी. पैसे नहीं होने की वजह से जब उन्होंने पैसे नहीं दिए तो उसके पिता को डेंगू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया.
अस्पताल से नहीं मिली दवा
अपने बीमार पिता को इलाज के लिए गोंडा जिला अस्पताल से कंधे पर लादकर घर ले जाने वाले शख्स शिव भगवान ने बताया कि पिता के इलाज के लिए नर्स ने बाहर से 2 इंजेक्शन मंगवाए. जिसकी कीमत 590 रुपए थी. उन्होंने बताया कि 4 दिनों के इलाज में सिर्फ वही दो इंजेक्शन लगाए गए. अस्पताल की कोई दवा नहीं दी गई. घर जाने के लिए एंबुलेंस देने को कहा तो अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि एंबुलेंस सिर्फ मरीजों को लाती है. वापस छोड़ने नहीं जाती है.
CMS बोले, मामले की होगी जांच
वहीं, इस पूरे प्रकरण पर जब गोंदा अस्पताल के CMO राधेश्याम केसरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक से बात की जाएगी. वहीं, अस्पताल की CMS इंदुबाला से जब बात की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से ही इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अभी हमने वार्ड इंचार्ज से पूछा था, तो उन्होंने बताया कि वह मरीज अपने आप चला गया है. हम इसकी जांच करेंगे.
HIGHLIGHTS
- मरीज के परिजनों के मांगे पर भी नहीं दी गई एंबुलेंस
- परिजनों को बताया गया एंबुलेंस मरीज लाने के लिए है
- परेशान बेटा बीमार पिता को पीठ पर लादकर निकला घर
Source : News Nation Bureau