ऐसा आम तौर पर देखने को मिल रहा है कि ज्यादातर युवा अपनी बाइक में कंपनी द्वारा फिटेड स्टैंडर्ड साइलेंसर की जगह पर मॉडिफाइड साइलेंसर का प्रयोग कर रहे हैं. बाइकों में लोग साइलेंसर को मोडिफाइड कराकर सड़कों पर फर्राटे भरते हैं. लोग शौक के लिए काफी तेज और कर्कश आवाज के साइलेंसर लगवाते हैं. हालांकि कर्नाटक के मणिपाल में पुलिस ने ऐसी बाइक्स पर शिकंजा कसने के लिए अलग से अभियान चला रखा है. पुलिस बाइकों से मोडिफाइड साइलेंसर निकालकर उन पर बुलडोजर चलवा रही है. पुलिस की इस कार्रवाई का वीडियो अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.
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वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस ने सड़क के किनारे एक लाइन से मोडिफाइड साइलेंसर को डालकर रखा है और इन पर बुलडोजर चलवा रही है. मोटरसाइकलों में ऐसे साइलेंसर लगे थे, जिनसे काफी तेज और ऊंची आवाज आती थी. पुलिस ने इन सभी मोटरसाइकिलों में लगे साइलेंसर भी निकाल लिए. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस के जवान मौजूद हैं. वहां मौजूद कुछ लोगों ने इसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. आपको बता दें कि साइलेंसर बाद में मोडिफाइड कराके लगाए जाते हैं, जिससे बाइक से काफी तेज आवाज आती है. इसका सीधा मतलब है कि इन साइलेंसर से ध्वनि प्रदूषण होता है.
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साइलेंसर से जुड़े नियम क्या कहते हैं?
लोग अत्यधिक आवाज के लिए वाहन के साइलेंसर में बदलाव करते हैं या किट लगाते हैं. इससे ध्वनि प्रदूषण की संभावना बढ़ जाती है. वहीं मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ऐसे किसी भी तरह के एग्जॉस्ट यानी साइलेंसर का प्रयोग करना, जोकि ध्वनि प्रदूषण का कारण बने पूरी तरह प्रतिबंधित है. मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, वाहन में अधिकतम 80 डेसिबल आवाज वाले साइलेंसर लगाए जा सकते हैं. इससे अधिक आवाज वाले साइलेंसर को ध्वनि प्रदूषण में गिना जाता है. ध्वनि प्रदूषण का चालान कटने पर 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. इस मामले में 5 साल तक की सजा भी हो सकती है. बताते चलें कि बिना RTO की अनुमति के वाहन में किसी प्रकार का बदलाव कराना भी गैर कानूनी है.
Source : News Nation Bureau