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जुगाड़ टेक्‍नॉलजी का कमालः नैनो कार बन गई हेलीकॉप्‍टर, साइकिल बन गई बाइक

आज हम यहां कई ऐसे लोगों की कहानी आपको बताने जा रहें हैं जिन्‍होंने जुगाड़ तकनीक से नायाब चीजें बनाई हैं

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Drigraj Madheshia
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जुगाड़ टेक्‍नॉलजी का कमालः नैनो कार बन गई हेलीकॉप्‍टर, साइकिल बन गई बाइक

मिथलेश प्रकाश का हेलीकॉप्‍टर

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भारत में फुंग शू बांगड़ुओं की कमी नहीं है. अरे वही, जो फिल्‍म थ्री इडियट का नायक जो जुगाड़ तकनीक से कई चीजों का अविष्‍कार कर दिया. ऐसे ही एक जुगाड़ु हैं बिहार (Bihar)के मिथलेश प्रकाश, जिन्‍होंने टाटा की नैनो कार को हेलीकॉप्टर बना दिया. केवल मिथिलेश ही नहीं आज हम यहां कई ऐसे लोगों की कहानी आपको बताने जा रहें हैं जिन्‍होंने जुगाड़ तकनीक से नायाब चीजें बनाई हैं वह भी तब जब ऐसे लोगों के पास इंजीनियरिंग की कोई डिग्री नहीं है.

सबसे पहले बात बिहार के मिथलेश प्रकाश की. कहते हैं जिद करो और दुनिया बदलो. मिथलेश की जिद थी कि वो पायलट बनेंगे. किस्‍मत ने साथ नहीं दिया और उनकी जिद पूरी नहीं हो पाई. पायलट बनने का बचपन के इस सपने को वो यूं ही मरते हुए नहीं देख सकते थे. हवाई जहाज उड़ाने के लिए पायलट की डिग्री नहीं थी और हेलीकॉप्‍टर खरीदने के लिए पैसे.

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If you don't know how to fly a helicopter, just make your car look like one! (@ruptly)

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लेकिन मिथलेश के पास अगर कुछ था तो उनका अपना दिमाग और आत्‍मविश्‍वास. उन्‍होंने जुगाड़ टेक्‍नॉलजी से अपनी कार को ही हेलीकॉप्टर बना दिया. टाटा नैनो कार को हेलीकॉप्टर बनाने के लिए उन्होंने कार के ऊपर पंखा लगवाया और आगे-पीछे के हिस्से को भी बदलवाया. कार के अंदर उन्होंने ऐसे बटन लगवाए जैसे हेलीकॉप्टर में होते हैं. कार भी बटन दबाकर चालू होती है और अपने आप पंखे चलने लगते हैं. उनके जुगाड़ का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. कार को उन्होंने दिखने में भले ही हेलीकॉप्टर जैसा बना लिया हो, लेकिन ये उड़ नहीं सकता.

सौर ऊर्जा से चलने वाला इकोफ्रेंडली यंत्र

मेरठ के शिवाय गांव के रहने वाले 8वीं पास राजेश कुमार गजब के जुगाड़ु हैं. 63साल की उम्र में उन्‍होंने कार के वाइपर में इस्तेमाल होने वाली मोटर तथा स्कूटर को स्टार्ट करने वाले बटन व हैंडल लगाकर सौर ऊर्जा से चलने वाला एक यंत्र तैयार किया. इसके अलावा मां की आटा चक्की को भी उन्होंने मॉडीफाई किया है. उस पर भी मोटर लगाकर उसे सौर ऊर्जा से चलाया जाता है. यहीं नहीं वह कई साल पहले गैस की लंबी लाइनों से तंग आकर घर पर ही बायो गैस प्लांट तैयार कर लिया था. पांच ड्रमों से बना यह प्लांट कुछ यूं डिजाइन किया गया था कि एक बार ड्रम भर दिए जाने पर छह महीने तक की गैस का उत्पादन होता है.

योगेश नागर ने बना दिया रिमोट कंट्रोल से चलने वाला ट्रैक्टर

राजस्थान के बारां जिले के बमोरी कलां गांव के योगेश नागर ने मात्र 20 वर्ष की आयु में ही रिमोट कंट्रोल से ट्रैक्टर चलाकर अपने जुगाड़ तकनीक का लोहा मनवा लिया. यह आविष्कार उन्होंने पिता रामबाबू नागर के लिए किया. पिता की सेहत खराब होने के कारण वे खेत में काम करने में असमर्थ हो गए थे. उस समय वह कोटा में बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे. पिता की खराब सेहत के चलते उन्‍हें गांव लौटना पड़ा.

उन्होंने पहले 2000 रुपये से कुछ सामान लेकर रिमोट बनाया, जिससे ट्रैक्टर आगे व पीछे चलने लगा. कुछ दोस्तों से आर्थिक मदद लेकर 50 हजार रुपये में रिमोट कंट्रोल से सिग्नल के जरिए ट्रैक्टर चलाने में सफलता हासिल कर ली.

साइकिल बनी मोटरबाइक

मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के अंजड नगर के रहने वाले जीतेंद्र भार्गव ने अपनी साइकिल में इंजन लगाकर उसे मोटरबाइक में तब्दील कर दिया. अंजड की सड़कों पर दौड़ती उनकी साइकिल देख लोग भौचक्के रह जाते हैं. उनकी मोटर साइकिल पुरानी हो चुकी थी जिसे ठीक करवाने में 7-8 हजार रुपये का खर्च होना तय था. इसी बीच एक किसान को पावर पंप से खेत में दवा का छिड़काव करते देखा.

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भार्गव ने उस इंजन को साइकिल में लगा दिया, साइकिल में एक ब्रेक को एक्सेलेटर और एक को अगले और पिछले टायर में ब्रेक लगाने के लिए एक साथ जोड़ दिया. इसे बनाने का कुल खर्च लगभग 10 से 15 हजार रुपये आए. इससे एक लीटर पेट्रोल में 100 से 125 किलोमीटर तक जाया जा सकता है. यह 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सड़कों पर दौड़ सकती है.

दूध का डोलू, मारुति 800 कार का इंजन

चंडीगढ़ के पास स्थित खरड़ के रहने वाले रंजीत रंधावा बाइक्स व कारों को शौकिया मॉडिफाई करते हैं. उन्‍होंने ने एक ऐसी बाइक बनाई जिसमें तेल की टंकी के स्थान पर दूध का डोलू, मारुति 800 कार का इंजन, एक एग्जास्ट फैन, एक टायर जीप का तो दूसरा रेहड़े का, जीप का फुट रेस्ट और तसले की सीट है.

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भारत में होने वाले मुकाबले ‘राइडर मेनिया’ में दो बार विजेता रह चुके रंजीत द्वारा मॉडीफाइड बाइक्स यूके, आस्ट्रेलिया, यूएसए के कॉलेजों में सोसाइटी ऑफ ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स द्वारा आयोजित प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं.

Source : Drigraj Madheshia

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