मगरमच्छ का नाम सुनते ही अक्सर डर का भाव आ जाता है. लेकिन केरल का एक मगरमच्छ अपनी मौत के बाद भी लोगों के दिलों पर राज कर रहा है. दरअसल केरल स्थित कासरगोड के श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर के शाकाहारी मगरमच्छ बबिया की हाल में मौत हो गई. उसकी मौत ने हर किसी को हिला कर रख दिया. क्योंकि बबिया नाम का ये मगरमच्छ अनंतपद्नाभ स्वामी मंदिर के रखवाले के रूप में जाना जाता था.
मंदिर वालों का दावा है कि ये मगरमच्छ शाकाहारी था, सिर्फ मंदिर के प्रसादम यानी प्रसाद पर ही निर्भर था. इस मगरमच्छ ने झील की एक भी मछली या किसी अन्य प्राणी को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाया था. बबिया नाम के इस मगरमच्छ ने 10 अक्टूबर को दुनिया को अलविदा कह दिया था. इसके बाद किसी जानी मानी हस्ती की तरह बबिया की अंतिम यात्रा भी निकाली गई.
लोगों को नए रखवाले का इंतजार
खास बात यह है कि बबिया की मौत के इतने दिन बाद भी लोगों के दिलों पर वह राज कर रहा है. अब भी लोग बबिया को भूले नहीं है और सोशल मीडिया पर उसे याद कर रहे हैं. इतना ही नहीं लोग बबिया की तरह ही मंदिर के अगले रखवाले का इंतजार भी कर रहे हैं. सोशल मीडिाय प्लेटफॉर्म ट्वीटर पर एक यूजर ने पोस्ट करते हुए बबिया की मौत की जानकारी साझा की और लिखा- वेटिंग फॉर न्यू क्रोकोडायल.
Divine #vegetarian #Crocodile #Babiya which was guarding #SriAnantapuraLakeTemple in #Kasaragod of #Kerala, passes away at age of 70+
Waiting for new #Crocodile 😔😔 pic.twitter.com/dQLTVkCiol
— Avery Lee (@AveryLe97) October 19, 2022
तालाब में रह कर रहा था मंदिर की रक्षा
बबिया केरल के कासरगोड जिले स्थित श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर परिसर में बने तालाब में ही रहता था. मंदिर से जुड़े लोगों का दावा है कि, मगरमच्छ सात दशकों से मंदिर की रक्षा कर रहा था. ये दावा किया जाता है कि, बबिया को भगवान विष्णु का अनन्य भक्त बताया जाता था. वह दिन में दो बार तालाब से बाहर निकलकर आता था और मंदिर में जाकर दर्शन करता था
बबिया की अंतिम यात्रा में नम थी सबकी आंखें
जब बबिया की अंतिम यात्रा निकाली गई तो हर किसी की आंखे नम दिखीं। इसके पीछे की वजह बाबिया की भगवान के प्रति अद्भुत भक्ति को माना जाता था. बताया जाता है कि, मंदिर में दर्शन करने जो भी श्रद्धालु आते थे वो बबिया को देखने के लिए भी उत्सुक रहते थे.
अचानक तालाब में प्रकट हुआ था बबिया
बबिया के जन्म या उसके आने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. कहा जाता है कि, वर्ष 1945 में एक ब्रिटिश सैनिक ने मंदिर में मगरमच्छ को गोली मार दी थी. इसी के कुछ दिन बाद मंदिर के तालाब में बबिया अपने आप ही प्रकट हो गया था.
Source : News Nation Bureau