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JNU के वामपंथी छात्र नेताओं की पोल खुली, छात्र ने 'अछूत' बनाए जाने के दिए प्रमाण

विकास ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा कि जेएनयू का वाम दल सभी जगहों से उनका बहिष्कार कर रहा है.

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Sunil Chaurasia
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जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 82 विदेशी छात्रों की घुसपैठ?

जेएनयू( Photo Credit : न्यूज स्टेट लाइब्रेरी)

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जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) किसी न किसी वजह से हमेशा चर्चा में बना रहने वाला देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है. पूरे देश ने देखा था कि फीस बढ़ोतरी के खिलाफ जेएनयू छात्रों ने विरोध के नाम पर किस तरह हिंसात्मक प्रदर्शन किए थे. इसके बाद 5 जनवरी 2020 की शाम कुछ नकाबपोश बदमाशों ने जेएनयू में घुसकर छात्रों और टीचरों के साथ जमकर मारपीट की.

इस पूरी घटना पर छात्र दो दलों में बंट गए. वाम दल जहां एबीवीपी के छात्रों पर मारपीट का आरोप लगा रहे थे तो वहीं दूसरी ओर एबीवीपी का कहना था कि वाम दलों के छात्रों ने ही जेएनयू में मारपीट की थी.

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इसी कड़ी में गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए आवाज उठाने वाले जेएनयू के वाम दलों की एक बेहद ही हैरान कर देनी वाली सच्चाई सामने आई है. विकास सिंह गौतम नाम के एक जेएनयू छात्र ने अपने ट्विटर अकाउंट पर वाम दलों के छात्रों की सच्चाई उजागर की है. विकास ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा कि जेएनयू का वाम दल सभी जगहों से उनका बहिष्कार कर रहा है.

विकास ने ट्विटर पर लिखा, ''वामपंथियों द्वारा जेएनयू के सभी सामाजिक, छात्रावास और शैक्षणिक समूहों से मेरा बहिष्कार किया जा रहा है. मेरे खिलाफ ये राजनैतिक अस्पृश्यता इस वजह से की जा रही है क्योंकि मैंने इस शैक्षणिक सत्र के लिए पंजीकरण करने की कोशिश की थी. वामपंथियों द्वारा दलितों के वशीकरण का यह सिर्फ एक उदाहरण है.''

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विकास ने इस ट्वीट के बाद एक और ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ''मैंने यह सोचकर जेएनयू में एडमिशन लिया था कि मैं बहस और चर्चा के माहौल में रहूंगा. लेकिन मुझे यहां बिल्कुल अलग संस्कृति देखने को मिल रही है. यहां के लोग अपने विचार आपके ऊपर थोपने से बेहतर कुछ नहीं जानते. मैं अब इसे हिंसा की संस्कृति कहूंगा.''

बताते चलें कि जेएनयू के वामपंथी छात्र नेता हमेशा से दलितों, गरीबों, मजदूरों के हक की बातें करते हैं. लेकिन ऐसे में विकास के ये दो ट्वीट जेएनयू के वामपंथी छात्र नेताओं की पोल खोलकर रख दी है. जेएनयू में लगने वाले नारों में हमेशा दलितों, गरीबों, मजदूरों और छात्रों की आजादी की ही मांग की जाती है.

Source : News Nation Bureau

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