जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) किसी न किसी वजह से हमेशा चर्चा में बना रहने वाला देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है. पूरे देश ने देखा था कि फीस बढ़ोतरी के खिलाफ जेएनयू छात्रों ने विरोध के नाम पर किस तरह हिंसात्मक प्रदर्शन किए थे. इसके बाद 5 जनवरी 2020 की शाम कुछ नकाबपोश बदमाशों ने जेएनयू में घुसकर छात्रों और टीचरों के साथ जमकर मारपीट की.
इस पूरी घटना पर छात्र दो दलों में बंट गए. वाम दल जहां एबीवीपी के छात्रों पर मारपीट का आरोप लगा रहे थे तो वहीं दूसरी ओर एबीवीपी का कहना था कि वाम दलों के छात्रों ने ही जेएनयू में मारपीट की थी.
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इसी कड़ी में गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए आवाज उठाने वाले जेएनयू के वाम दलों की एक बेहद ही हैरान कर देनी वाली सच्चाई सामने आई है. विकास सिंह गौतम नाम के एक जेएनयू छात्र ने अपने ट्विटर अकाउंट पर वाम दलों के छात्रों की सच्चाई उजागर की है. विकास ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा कि जेएनयू का वाम दल सभी जगहों से उनका बहिष्कार कर रहा है.
विकास ने ट्विटर पर लिखा, ''वामपंथियों द्वारा जेएनयू के सभी सामाजिक, छात्रावास और शैक्षणिक समूहों से मेरा बहिष्कार किया जा रहा है. मेरे खिलाफ ये राजनैतिक अस्पृश्यता इस वजह से की जा रही है क्योंकि मैंने इस शैक्षणिक सत्र के लिए पंजीकरण करने की कोशिश की थी. वामपंथियों द्वारा दलितों के वशीकरण का यह सिर्फ एक उदाहरण है.''
I am being boycotted from all social, hostel and academic groups of JNU, centre for philosophy by the left. This political untouchability is being practiced against me cause i tried to register for this academic session. This just one example of subjugation of Dalits by the left. pic.twitter.com/fgSqkKev6j
— Vikas Singh Gautam (@vikasgautamjnu) January 8, 2020
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विकास ने इस ट्वीट के बाद एक और ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ''मैंने यह सोचकर जेएनयू में एडमिशन लिया था कि मैं बहस और चर्चा के माहौल में रहूंगा. लेकिन मुझे यहां बिल्कुल अलग संस्कृति देखने को मिल रही है. यहां के लोग अपने विचार आपके ऊपर थोपने से बेहतर कुछ नहीं जानते. मैं अब इसे हिंसा की संस्कृति कहूंगा.''
I took admission into JNU thinking that , I'll get to be in an environment of debate and discussion. But I've got to see a totally different culture here. People here don't know anything better than imposing their views on you. I'll rather call it a culture of violence now.
— Vikas Singh Gautam (@vikasgautamjnu) January 9, 2020
बताते चलें कि जेएनयू के वामपंथी छात्र नेता हमेशा से दलितों, गरीबों, मजदूरों के हक की बातें करते हैं. लेकिन ऐसे में विकास के ये दो ट्वीट जेएनयू के वामपंथी छात्र नेताओं की पोल खोलकर रख दी है. जेएनयू में लगने वाले नारों में हमेशा दलितों, गरीबों, मजदूरों और छात्रों की आजादी की ही मांग की जाती है.
Source : News Nation Bureau