आपने ट्रेनों में बखूबी सफर किया होगा. यहां तक आपने टॉय ट्रेन में भी बैठकर खूबसूरत वादियों का भी लुत्फ उठाया होगा. लेकिन आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि सीटी बजाती हुई रेलगाड़ी धीरे-धीरे और बहुत अविश्वनीय और अद्वितीय रास्तों से होते हुए आपको आपकी मंजिल तक पहुंची है. लेकिन आज हम आपको ऐसा रास्ता देखने जा रहे हैं, जहां इंजीनियरों के दिमाग ने रेल सफर को उत्साहित बना दिया.
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भारत के राज्य पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच एक ऐसा मोड़ है, जिसके बारे में जानकर आप भी अचंभित रह जाएंगे. इन दोनों शहरों के बीच एक जगह ऐसी है, जहां ट्रेन के मुड़ने की संभावना असंभव है. मगर अंग्रेज इंजीनियरों ने जो रास्ता बनाया, वह काफी अजीब है. ट्रेन के आगे आने के बाद 3 लेवल का टर्न डिजाइन किया गया.
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पहाड़ी इलाके में एक ट्रेन पहले आगे जाती है. फिर दूसरे ट्रैक पर उलटी चलती है. इतना ही नहीं, कुछ दूर तक उलटे चलने के बाद वह एक और ट्रैक बदलती है और फिर आगे की और चली जाती है, जब ट्रेन आगे बढ़ती है तो फिर मुड़ने से पहले पीछे की तरफ से बढ़ती है, जो दुनिया में अभी भी अद्वितीय है. यह दार्जिलिंग हिमालयी रेल है, जिसे 'टॉय ट्रेन' के नाम से भी जाना जाता है.
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न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलने वाली एक छोटी लाइन की रेलवे प्रणाली है. इस रेल लाइन को 1879 और 1881 के बीच बनाया गया था. इसकी कुल लंबाई 78 किलोमीटर (48 मील) है. न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच 13 स्टेशन हैं, जिनमें न्यू जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी टाउन, सिलीगुड़ी जंक्शन, सुकना, रंगटंग, तिनधरिया, गयाबाड़ी, महानदी, कुर्सियांग, टुंग, सोनादा, घुम और दार्जिलिंग शामिल हैं.