उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने न्यायिक प्रणाली से कथित उत्पीड़न और अपमान से तंग आकर आत्महत्या की कोशिश की. बताया जा रहा है कि दरोगा सचिन कुमार, जिन्हें कुछ दिनों पहले 5 बाइक चोरों को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश करना पड़ा था, न्यायिक अधिकारी के साथ हुए तनावपूर्ण घटनाक्रम के बाद इस मनोस्थिति में आ गए.
जज ने बताया फर्जी
घटना के अनुसार, सब-इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने 5 बाइक चोरों को पकड़कर न्यायालय में पेश किया, लेकिन वहां से मामले ने नया मोड़ ले लिया. सचिन कुमार के अनुसार, न्यायाधीश अभिषेक त्रिपाठी ने न केवल उनकी पेश की गई रिपोर्ट पर सवाल उठाए, बल्कि उन पर आरोप लगाया कि वे 'फर्जी लोग' गिरफ्तार करके लाए हैं. इसके बाद जज ने दरोगा के साथ कथित रूप से अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिसके कारण सचिन कुमार मानसिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हुए.
आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ एसआई
इस घटना के बाद सचिन कुमार ने अपने अधिकारियों से इस उत्पीड़न की शिकायत भी की, लेकिन जब कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो वे आत्महत्या करने के इरादे से रेल पटरी पर बैठ गए. हालांकि, समय पर सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस ने उन्हें इस कदम से रोक लिया और सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया.
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पुलिस के कार्यशैली पर उठे क्यों सवाल?
यह घटना पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के बीच चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों की ओर इशारा करती है. दरोगा का आरोप है कि न्यायिक अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने उन्हें अपमानित किया और उनकी पेशेवर ईमानदारी पर सवाल उठाए.
इस तरह की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था के अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती हैं, बल्कि न्यायिक प्रणाली और पुलिस विभाग के बीच समन्वय की कमी को भी उजागर करती हैं. घटना के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है. सब-इंस्पेक्टर सचिन कुमार के इस कदम ने पुलिस महकमे में मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन के संतुलन के मुद्दे पर बहस को जन्म दिया है.
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