आपको ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है. यह आपके दिमाग को कोई बहम नहीं है. बल्कि यह आने वाले समय की सच्चाई है. हमारा देश की टेक्नोलॉजी इतनी ज्यादा बढ़ रही है कि अब हर चीज मामुकिन है. लेकिन अब आप कहेंगे ये कैसे मुमकिन है कि अब पुरुष प्रेग्नेंट हो सकते हैं. वहीं इसके लिए वैज्ञानिक भी अपने प्रयास में लगे हुए है. साथ ही ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह संभव होगा और वहीं इस और वैज्ञानिक को कामयाबी भी मिल रही है. वहीं वैदिक सभ्यता के टाइम से ही प्रेग्नेंट पुरुषों का कॉन्सेप्ट चल रहा है. इसके अलावा साहित्य से लेकर हॉलीवुड फिल्मों तक में पुरुषों को प्रेग्नेंट होकर बच्चे को जन्म देते दिखाया गया है. आइए आज आपको बताएंगे कि कैसे अब पुरुष प्रेग्नेंट हो सकते हैं.
1947 में यूट्रस ट्रांसप्लांट का दिया आइडिया
पुरुष और महिला में काफी सारे बॉडी पार्ट्स ऐसे होते है. जो कि उन्हें एक दूसरे से अलग बनाते है. वहीं प्रेग्नेंसी के लिए महिलाओं में जो जरूरी अंग होता है वो यूट्रस होता है. वहीं यह पुरुषों में नहीं होता है. इसके लिए एक फिलॉस्फर जोसेफ फ्लेचर ने 1947 में एक किताब लिखी ' द एथिक्स ऑफ जेनेटिक कंट्रोल'. जिसमें उन्होंने यूट्रस ट्रांसप्लांट का आइडिया दिया था.
यूट्रस ट्रांसप्लांट से होंगे बच्चे पैदा
यूट्रस ट्रांसप्लांट के जरिये पुरुष बच्चे पैदा कर सकते हैं. महिलाओं की तरह ही पुरुषों के चेस्ट में भी निपल्स, मैमरी ग्लैंड्स और पिट्यूटरी ग्लैंड्स होती हैं, जिससे वे बच्चे को अपना दूध भी पिला सकते हैं.वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि उन लोगों ने जितनी तरक्की की है. उस बीच पुरुषों के प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ गई है.
ये है संभावना
रिप्रॉडक्टिव एंडोक्रिनोलॉजिस्ट मानते हैं कि इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में बच्चे पैदा करने की जिम्मेदारी पुरुषों को भी उठानी होगी. हालांकि इसमें समय लग सकता है. पुरुषों की प्रेग्नेंसी की राह में कई चुनौतियां हैं. जैसे- उनमें प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी हार्मोंस की पर्याप्त मात्रा नहीं होती. दूसरी चुनौती- पुरुषों में महिलाओं की तरह रिप्रॉडक्टिव सिस्टम नहीं होता. तीसरी, यूट्रस (बच्चे के लिए गर्भ) और ओवरी (स्पर्म को फर्टिलाइज करने के लिए जरूरी) जैसे अंग पुरुषों में नहीं होते. हार्मोनल थेरेपी के जरिये पहली चुनौती दूर की जा सकती है. जेंडर चेंज के लिए जैसा कि आजकल खूब हो रहा है, सर्जरी के जरिए पुरुषों में भी जरूरी रिप्रॉडक्टिव सिस्टम तैयार किया जा सकता है. ओवरी का विकल्प आईवीएफ (In Vitro Fertilization) के रूप में है, जबकि पुरुषों में यूट्रस की कमी ट्रांसप्लांट के जरिये पूरी की जा सकती है.
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खुद के स्पर्म से होंगे प्रेग्नेंट
यूटेराइन ट्रांसप्लांट से पहले पेशेंट ने अपना स्पर्म बैंक में सुरक्षित रखवाया है, तो उसका इस्तेमाल करके आईवीएफ के जरिए वह प्रेग्नेंट हो सकेगा. इस दौरान डॉक्टर हॉर्मोंस की मॉनिटरिंग करते रहेंगे, ताकि प्रेग्नेंसी में कोई खतरा न हो. फिर सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे को पैदा कर सकेंगे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)