उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर से मॉब लिंचिंग के खतरनाक परिणामों को उजागर कर दिया है. अवनीश कुमार नामक युवक को गांववालों ने बच्चा चोर समझकर पीछा किया, जिससे वह अपनी जान बचाने के लिए एक ओवरब्रिज पर चढ़ गया. यह घटना मॉब लिंचिंग के बढ़ते खतरे और भीड़ की मानसिकता का एक भयावह उदाहरण है, जहां बिना जांच-पड़ताल किए लोग किसी निर्दोष को हिंसा का शिकार बना देते हैं.
जान बचाने के लिए घंटों तक चढ़ा रहा
अवनीश कुमार, अपनी जान बचाने के लिए घंटों तक ओवरब्रिज पर चढ़ा रहा. उसकी स्थिति इतनी भयावह थी कि वह लगभग आठ घंटे तक ऊपर बैठा रहा. उसकी जान बचाने के लिए पुलिस और स्थानीय लोग उसे नीचे आने के लिए मनाते रहे, लेकिन उसकी मानसिक स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि वह किसी पर विश्वास नहीं कर पाया. पुलिस द्वारा ऊपर चढ़ने के बाद भी अवनीश ने नीचे कूदने का कठोर फैसला लिया और आखिर में उसकी मृत्यु हो गई.
उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर में मॉब लिंचिंग से बचने के लिए अवनीश कुमार ब्रिज पर चढ़ गया और कूदकर जान दे दी।
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) September 10, 2024
गांववालों ने उसे बच्चा चोर कहकर दौड़ा दिया था। भीड़ से बचने को वो एक ओवरब्रिज पर चढ़ गया। 8 घंटे तक ऊपर ही चढ़ा रहा। पुलिस जैसे ही ऊपर चढ़ी, वो नीचे कूद गया। pic.twitter.com/WckidEWoyE
ऐसी ही भीड़ हिंसक हो जाती है
यह घटना केवल एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज के उस हिस्से को भी उजागर करती है, जहां अफवाहों के आधार पर भीड़ अपने ही लोगों के खिलाफ हिंसक हो जाती है. बच्चा चोरी जैसी अफवाहें अक्सर गांवों और कस्बों में सुनने को मिलती हैं, लेकिन इन अफवाहों के पीछे की सच्चाई की जांच किए बिना ही लोग किसी निर्दोष को अपराधी मानकर सजा दे डालते हैं.
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समाज कितना असंवेदनशील हो गया है
अवनीश कुमार की मौत से यह स्पष्ट होता है कि अफवाहों और झूठी सूचनाओं से समाज कितना असंवेदनशील हो गया है. बिना साक्ष्यों के किसी को दोषी ठहराना और उस पर हमला करना किसी सभ्य समाज के लक्षण नहीं हो सकते हैं. यह घटना कानून व्यवस्था और सामाजिक न्याय की महत्वपूर्ण जरूरत को भी रेखांकित करती है, जिसमें पुलिस और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे अफवाहों को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करें.