भारत में शहरीकरण की तेज गति और गाड़ी ऑनर में वृद्धि के कारण पार्किंग की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है. आपने देखा होगा कि दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में सड़कों पर गाड़ियां खड़ी मिल जाती हैं. यहां तक कि जिनके पास घर तो हैं लेकिन गाड़ियां खड़ी करने के लिए पार्किंग नहीं है. वे अपनी कार सड़क पर पार्क कर रहे हैं. जिस तरह से वाहन मालिकों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में गाड़ी पार्क करने की जगह नहीं मिलेगी. ऐसे में सवाल ये है कि क्या पार्किंग की कमी भविष्य में बड़ी समस्या बन सकती है?
तेजी से बढ़ रहे हैं ऑनर
भारत में गाड़ी ऑनर लगातार बढ़ रहे हैं. किफायती वाह लोन सुविधाओं और मध्यम वर्ग के विस्तार के कारण अधिक लोग निजी वाहन खरीद रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पंजीकृत वाहनों की संख्या कलेक्ट की गई है, जिसमें आंकड़े चौंकाने वाले थे. 2020 में भारत में 32.63 करोड़ वाहन थे, जिनमें से लगभग 75% दोपहिया वाहन थे. तीन साल में दो करोड़ वाहन पंजीकृत हुए, जिसके बाद यह संख्या बढ़कर करीब 34.8 करोड़ हो गई. भारत में सबसे अधिक पंजीकृत वाहन मुंबई में हैं, उसके बाद यूपी का स्थान है.
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पार्किंग पर लोग नहीं देते हैं ध्यान
अब लोग कार तो खरीद ले रहे हैं लेकिन उनके पास पार्किंग कोई सुविधा ही नहीं है. अधिकांश भारतीय शहरों में सार्वजनिक पार्किंग स्थल की कमी है. शहरी विकास योजनाओं में पार्किंग स्थलों की योजना पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है. लोग अक्सर सड़कों पर अनियमित रूप से पार्क करते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. पार्किंग की कमी के कारण लोग फुटपाथ, गलियों और अन्य अवैध स्थानों पर वाहन पार्क करते हैं. शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होने के कारण पार्किंग की मांग बढ़ गई है. शहरों का विस्तार तेजी से हो रहा है, लेकिन इसके साथ पार्किंग सुविधाओं का विकास नहीं हो रहा है.