रामायण में रामलला के स्यामल रूप का वर्णन किया गया है.

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रामलला की मूर्ति शालिग्राम से तैयार की गई है.

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ये मूर्ति जैसी आज है, वैसी ही कई दशकों तक रहेगी.

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दूरी से भी इस मूर्ति को आसानी से देखा जा सके, इसलिए इसे खड़ी बनाई गई है.

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कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है.

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मान्यता के अनुसार, मूर्ति को जमीन से जोड़ने के लिए तांबे का पाइप लगाया गया है.

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मंदिर की आयु लंबी हो और इसकी बार-बार मरम्मत न करनी पड़े.

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छत पर तांबे का इस्तेमाल किया है, ताकि सालों क यूं ही बना रहे.

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एक कैप्सूल है, जिसमें रामायण से जुड़ी चीजें हैं,जो सदियों तक सुरक्षित रहेंगी.

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