बांग्लादेश में छात्रों के देशव्यापी प्रदर्शन के कारण 6700 से अधिक भारतीय छात्र बांग्लादेश से भारत वापस आए हैं. छात्रों को वापस भारत भेजने में बांग्लादेशी सरकार ने अहम भूमिका निभाई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यहा जानकारी दी. गुरुवार को साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान, जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग ने छात्रों को भारत भेजने की उत्तम तैयारियां की थी. उनका मानना है कि जल्द ही बांग्लादेश की स्थिति सामान्य हो जाएगी.
जायसवाल ने आगे कहा कि उच्चायोग ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं. नंबर 24 घंटे संचालित किए जा रहे हैं. बांग्लादेश में रह रहे हमारे छात्र और नागरिक उनसे संपर्क कर सकते हैं. उच्चायोग हर प्रकार की सहायता करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के हालात पर हमारी नजर है. हम बांग्लादेश की स्थिति से भलिभांति अवगत है. भारत का मानना है कि वह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है. हमें उम्मीद है कि वहां जल्द ही हालात काबू में आ जाएंगे.
हिंसा भड़कने का यह है मुख्य कारण
बांग्लादेश में हिंसा भड़कने का मुख्य कारण नौकरी में आरक्षण है. छात्रों की मांग थी कि नौकरी से आरक्षण को हटाया जाए. दरअसल, बांग्लादेश में नियम था कि सार्वजनिक क्षेत्र में 1971 का युद्ध लड़े लोगों के परिजनों को 30 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा. छात्र इस फैसले को भेदभावपूर्ण बता रहे थे. बांग्लादेश में नौकरियों में कुल 56 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता था. हालांकि, मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनावई की और फैसला सुनाया कि अब नौकरी में महज 7 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा. अदालत ने कहा कि नौकरियों में 93 फीसदी चयन अब योग्यता के आधार पर ही होगा.
हिंसा में करीब 140 की मौत
बता दें, देशव्यापी प्रदर्शन के कारण ढाका सहित अन्य शहरों के विश्वविद्यालयों और सड़कों में पुलिस-छात्रों के बीच जमकर झड़पें हुईं. पुलिस ने इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को रद्द कर दिया था. छात्रों ने वहां के परिवहन व्यवस्था को भी ध्वस्त कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट की मानें, बांग्लादेश में हिंसा के कारण करीब 140 लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, पूरे आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी.