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कोरोना के बाद अब इस खतरनाक वायरस ने बरपाया कहर, चारों ओर मचेगी चीख पुकार

तीन साल पहले कोरोना महामारी ने दुनिया में जमकर तबाही मचाई थी. इस वायरस से लाखों लोगों की मौत हो गई थी. अब सिफलिस वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. जापान में इस वायरस से अभी तक हजारों लोग प्रभावित हुए हैं. इसमें बच्चे भी शामिल हैं.

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Prashant Jha
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Syphilis Virus

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Syphilis Virus: कोरोना महामारी के बाद जापान में सिफलिस वायरस कहर बरपा रहा है. कोरोना के बाद सबसे खतरनाक वायरस साबित हो रहा है. यह वायरस इतना खतरनाक है कि अकेले राजधानी टोक्यो में अब तक इस वायरस की चपेट में 2500 से ज्यादा मरीज आ चुके हैं. इसमें सबसे ज्यादा पुरुष हैं. इस बीमारी के करीब 70 फीसदी शिकार पुरुष हैं. बताया जा रहा है कि यह वायरस यौन संपर्क से हो रहा है.  सिफलिस वायरस का अटैक 20 से 50 साल के उम्र के पुरुषों पर सबसे ज्यादा देखा गया है.  साथ ही 20 से 30 साल की औरतों भी इस बीमारी से संक्रमित हो रही है. इतना ही नहीं इस बीमारी की चपेट में नवजात बच्चे भी आ रहे हैं.

बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर

सिलफिस वायरस सिर्फ युवाओं और बुजुर्गों पर ही अपना प्रभाव नहीं छोड़ रहा. यह बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. इस वायरस की चपेट में आने वाले बच्चों के शरीर पर लाल चकत्ते हो जाते हैं. कुछ समय बाद संक्रमित बच्चों के सुनने की क्षमता और आंखों की रोशनी कम होने लगती है. इससे बच्चों की जान भी जा सकती है. ऐसे में अगर बच्चे इस वायरस से प्रभावित होते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टरों के पास ले जाकर चेकअप करवाना चाहिए. आइए जानते हैं कि ये सिफलिस वायरस क्या है, कैसे फैलता है और क्या है इसके लक्षण और उपचार के सही तरीके.

सिफलिस वायरस क्या है 

सिफलिस ट्रेपोनेमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला एक खतरनाक वायरस है जो अक्सर यौन संपर्क के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलता है. इस वायरस के फैलाव में कई फेज हैं. प्राइमरी सिफलिस में संक्रमित व्यक्ति के शरीर के मुंह, जीभ या बगल में घाव या दाना होता है, जिसमें ना तो दर्द होता है ना ही जलन होता है. लोग इसे नजरअंदाज करते रहते हैं, लेकिन यह वायरस धीरे-धीरे लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है. डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स भी इस वायरस को समझ नहीं पा रहे हैं.  

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विशेषज्ञों ने लोगों से की ये बड़ी अपील

डॉक्टर कहते हैं कि सिफलिस लंबे समय में विकसित होने वाला वायरस है जो अपने आखिरी चरण में घातक साबित होता है. अगर समय रहते इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान कर इलाज करवाया जाए तो ठीक होने की संभावना ज्यादा है.  विशेषज्ञों का कहना है कि पहले तो लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. इसके बाद के चरण में त्वचा पर रैशेज दिखते हैं, लिम्फ नोड्स में सूजन आती है. तेजी से बुखार के साथ शरीर कमजोर पड़ने लगते हैं. बिस्तर से उठने का मन नहीं करता है. व्यक्ति के बाल गिरने शुरू हो जाते हैं. इतना ही नहीं इसका दिल, दिमाग और कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है. सिफलिस अपने किसी भी स्टेज में नर्वस सिस्टम के साथ साथ आंखों पर भी बुरी तरह प्रभावित करता है.

क्या है सिफलिस के लक्षण  

सिफलिस वायरस से पीड़ित मरीजों में सबसे पहले मुंह और जुबान के नीचे या बगल में फोड़ा होता है. उसके बाद तेज बुखार, त्वचा पर रैशेज, वजन घटना, बाल गिरना, गले में खराश, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिर में तेज दर्द शुरू हो जाता है. वहीं, गर्भवती महिला सिफलिस से संक्रमित है तो उसके होने वाले बच्चे को भी ये वायरस अपना शिकार बना लेता है. ऐसे में बच्चे का समय से पहले जन्म, जन्म लेते समय जच्चा और बच्चा की मौत भी हो सकती है. 

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