बांग्लादेश सरकार ने दूर्गा पूजा उत्सव के मद्देनजर एक बड़ा फैसला लिया है. दुर्गा पूजा में हिलसा मछली की भारी मांग को देखते हुए बांग्लादेश ने 3000 टन हिलसा मछली के निर्यात को मंजूर कर दिया है. बता दें, शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अंतरिम सरकार ने हिल्सा के भारत में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, बांग्लादेशी वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात को मंजूरी दे दी है.
हिल्सा बंगालियों का स्वादिष्ट भोजन
हिल्सा बांग्लादेश और भारत की लोकप्रिय मछली है. इसे दु्र्गा पूजा के दौरान स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है. दुर्गा पूजा दोनों के करोड़ों लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. हिल्सा के मांग की अधिक होने की उम्मीद है. हिल्सा को इलिश मछली भी कहा जाता है. बंगाली लोग दुर्गा पूजा के वक्त, खिचड़ी के साथ इलिश खाना पसंद करते हैं.
प्रतिबंध का यह कारण
बता दें, प्रतिबंध सेना समर्थित सरकारों ने लगाया है. हालांकि, शेख हसीना के समय पर आसानी से हिलसा मछलियां भारत आ जाती थी. अंतरिम सरकार ने हिलसा मछली के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कारण भी बताया था. सरकार ने कहा था कि स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रतिबंध लगाया गया था. बता दें, बांग्लादेश दुनिया की 70 प्रतिशत हिल्सा मछलियों का उत्पादक है. बांग्लदेश इस पर गर्व करता हैं, इसी वजह से हिल्सा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है.
प्रतिबंध के बावजूद भारत आ रही थी मछलिया.
प्रतिबंध के बावजूद हिल्सा मछली भारत आ रही थीं. हालांकि, उनकी कीमतें बहुत अधिक थीं. गाजीपुर थोक बाजार के व्यापारी का कहना है कि बांग्लादेश से हिल्सा पहले म्यांमार जाती थी फिर म्यांमार से हिल्सा भारत पहुंचती थी. इतने गुपचुप तरीके से हिल्सा के आने के वजह से एक किलो इलिश 2200 से लेकर 2400 रुपये प्रतिकिलो बिक रही है. इसकी असल कीमत 1800 से 2000 रुपये के हिसाब से बिकती थी.