बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. अंतरिम सरकार ने बंगाल की सत्ता संभाल ली है. हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा कि ढाका नई दिल्ली के साथ हुए समझौतों की समीक्षा कर सकता है. समीक्षा के वक्त अगर हमें लगता है कि हसीना की सरकार के दौरान भारत के साथ हुए समझौते बांग्लादेश के हित में नहीं हैं तो हम उन्हें रद्द कर सकते हैं. बता दें, हसीना इसी साल जून में भारत दौरे पर आई थीं. दौरे के दौरान, भारत और बांग्लादेश के बीच 10 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे.
यह समझौता रहा सबसे खास
नई दिल्ली में हुए 10 समझौतों में रेल ट्रांजिट समझौता सबसे चर्चित रहा. इसके मुताबिक, भारत बांग्लादेश के बीच रेलवे लाइन पास होगी, जिससे यात्री और सामान का आयात-निर्यात हो सकता है. बांग्लादेश इस प्रोजेक्ट की मदद से अपना माल नेपाल और भूटान भेज सकता है. इस प्रोजेक्ट से भारत और बांग्लादेश दोनों को फायदा होगा.
विपक्ष ने प्रोजेक्ट को बताया देश के लिए खतरा
हालांकि, तत्कालीन विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने इस प्रोजेक्ट की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि इस डील से बांग्लादेश की संप्रभुता को खतरा हो सकता है. उनका कहना था कि भारत ट्रेन की मदद से पूर्वी राज्यों में हथियार और गोला-बारूद भेज सकता है. भारत की ट्रेनें देश में आएंगी तो सुरक्षा का खतरा रहेगा. बीएनपी ने आरोप लगाया कि शेख हसीना ने बांग्लदेश भारत को बेच दिया है.
शेख हसीना ने दी थी सफाई
बीएनपी के विरोध के बीच तत्कालीन पीएम हसीना ने कहा था कि भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही ट्रांजिट डील है. भारत की बसें त्रिपुरा से बांग्लादेश आती-जाती रहती हैं. देश को इससे आजतक क्या नुकसान हुआ. अब बस की तरह ट्रेनें त्रिपुरा से कोलकाता जाएंगी तो क्या नुकसान हो जाएगा. हसीन ने कहा था कि लोगों की भलाई के लिए यह डील हुई है. दोनों देशों के बीच इससे बिजनेस सुगम होगा. अन्य देशों के बाजार में आसानी से बांग्लादेश की पहुंच बढ़ेगी. इलाज और पढ़ाई के लिए भारत जाने वाले बांग्लादेशियों को फायदा पहुंचेगा.
पांच रेल गाड़ियों की होती थी आवाजाही
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ते ही सभी ट्रेन सुविधाओं पर प्रतिबंध लग गया है. बैन से पहले तक भारत और बांग्लादेश के बीच पांच ट्रेनें चलती थीं, जिनमें से 3 यात्री गाड़ी तो दो मालगाड़ी. बांग्लादेश में भारतीय ट्रेन बांग्लादेशी इंजन के साथ ही बांग्लदेश में घुसती थीं.