'कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो' के सुर हाल ही में बदलते हुए नजर आए हैं. यह पहली बार है जब उन्होंने स्वीकार किया कि कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं. हालांकि, ट्रूडो ने यह भी साफ किया कि सभी सिख खालिस्तानी नहीं हैं. यह बयान भारत के लंबे समय से किए गए दावे की साफ करता है कि कनाडा खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों को पनाह दे रहा है. बावजूद इसके, ट्रूडो का भारत के प्रति रुख अभी भी तल्ख बना हुआ है.
खालिस्तानियों पर ट्रूडो का बयान
ट्रूडो ने यह बयान 'ओटावा के पार्लियामेंट हिल' पर पिछले सप्ताह दिवाली समारोह के दौरान दिया था. उन्होंने भारतीय कनाडाई प्रवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कनाडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के समर्थक हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे सभी हिंदू कनाडाई समुदाय को प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बयान में ट्रूडो ने यह स्वीकार किया कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सभी सिख समुदाय के लोग खालिस्तानी नहीं हैं.
भारत और कनाडा में तनाव
भारत और कनाडा के बीच रिश्ते पिछले कुछ वर्षों से काफी तनावपूर्ण रहे हैं. पिछले साल 'सितंबर 2023' में खालिस्तान आतंकवादी 'हरदीप सिंह निज्जर' की हत्या के बाद यह तनाव और बढ़ गया था. ट्रूडो ने इस हत्या के मामले में भारतीय एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगाया था, लेकिन भारत ने इस आरोप को बेतुका और निराधार करार देते हुए खारिज कर दिया. इसके बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद और बढ़ गया.
भारत ने लिए कड़े कदम
भारत सरकार ने ट्रूडो के आरोपों का विरोध करते हुए अपने कड़े कदम उठाए. भारत ने कनाडा के 'छह राजनयिकों' को निष्कासित कर दिया और अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया. इसके अलावा, भारत सरकार ने साफ किया कि उनके पास ट्रूडो के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और न ही हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडा के पास कोई पुख्ता सबूत हैं.
ट्रूडो का पलटवार
हालांकि, ट्रूडो ने बाद में स्वीकार किया कि उनके पास भारत पर लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं थे. उन्होंने यह भी माना कि निज्जर की हत्या से संबंधित उनके द्वारा दिए गए आरोप निराधार थे. इसने भारत के रुख को बल दिया और यह साबित किया कि कनाडा सरकार बिना किसी पुख्ता जानकारी के भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रही थी.