Advertisment

चीन के 75 साल: दमन के साये में जश्न, तिब्बत और पूर्वी तुर्किस्तान में मानवाधिकारों का हनन जारी

चीन की ओर से तिब्बत की जमीन का प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और विकास परियोजनाओं के नाम पर व्यापक शोषण किया जा रहा है. इससे न सिर्फ तिब्बत की पारिस्थितिकी को खतरा है.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
China Celebration 75 Years
Advertisment

(रिपोर्ट- मधुरेंद्र कुमार)
China Celebration 75 years:
1 अक्टूबर को चीन जब अपने 75वें स्थापना दिवस का जश्न मना रहा है, दुनिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि इस जश्न की कीमत लाखों लोगों के दमन से चुकाई गई है। पिछले 75 वर्षों से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने अपनी सत्ता को मानवाधिकारों के हनन, उपनिवेशवाद और सांस्कृतिक दमन के आधार पर स्थापित किया है। खासकर तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान (शिनजियांग), हांगकांग और अन्य क्षेत्रों में चीनी सरकार की नीतियों ने वहां के लोगों की आजादी और पहचान को कुचल दिया है।

तिब्बत की पहचान पर हमला

चीन द्वारा तिब्बत में चलाए जा रहे 'सिनीकरण' अभियान के तहत तिब्बती संस्कृति, भाषा और धर्म पर हमले जारी हैं। चीनी सरकार ने तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग करके उन्हें राज्य संचालित बोर्डिंग स्कूलों में भर्ती कराकर तिब्बत की राष्ट्रीय पहचान को मिटाने का प्रयास किया है।

यह भी पढ़ें - इजरायल ने ईरान की खुफिया एजेंसी में लगाई थी सेंध, मोसाद के दोहरे एजेंट निकले, नसरल्लाह की ऐसे हुई हत्या

हाल ही में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बती शहरों और क्षेत्रों से तिब्बती नामों को मिटाने का अभियान शुरू किया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण फ्रांस के दो प्रमुख संग्रहालयों में देखा गया, जहां तिब्बती कला और ऐतिहासिक वस्त्रों की प्रदर्शनी में 'तिब्बत' की जगह 'शिज़ांग' (चीनी नाम) का इस्तेमाल किया गया। यह चीन की वैश्विक स्तर पर तिब्बत की पहचान मिटाने की साजिश का हिस्सा है।

पूर्वी तुर्किस्तान और हांगकांग में दमन

तिब्बत ही नहीं, चीन ने पूर्वी तुर्किस्तान और हांगकांग में भी दमनकारी नीतियों का पालन किया है। पूर्वी तुर्किस्तान में उइगर मुसलमानों को बड़े पैमाने पर नजरबंद किया गया है और हांगकांग में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया है। इन क्षेत्रों में मानवाधिकारों का हनन और सांस्कृतिक दमन निरंतर जारी है।

विकास के नाम पर विनाश

चीन द्वारा तिब्बत की जमीनों का प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और विकास परियोजनाओं के नाम पर व्यापक शोषण किया जा रहा है, जिससे न केवल तिब्बत की पारिस्थितिकी को खतरा है, बल्कि तिब्बती समाज के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है। दाम निर्माण और खनन परियोजनाएं चीन की पकड़ मजबूत करने और तिब्बती समुदायों को विस्थापित करने का एक औजार बन गई हैं। इस साल की शुरुआत में, डेगे क्षेत्र में गांग्तुओ डैम परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले 1,000 से अधिक तिब्बतियों को गिरफ्तार किया गया। इस परियोजना से पवित्र मठों को खतरा है और हजारों लोग विस्थापित हो रहे हैं।

तिब्बत की आजादी के लिए आवाज बुलंद


भारत सहित दुनिया भर में निर्वासन की जिंदगी जीने को मजबूर तिब्बत की आजादी के लिए संघर्षरत एक्टिविस्ट ने आज के दिन चीन और चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया।


छात्र संगठन 'स्टूडेंट्स फॉर ए फ्री तिब्बत-इंडिया' के ग्रासरूट कोऑर्डिनेटर तेनजिन नामग्याल ने कहा, “यह केवल तिब्बत की जमीन का मामला नहीं है, बल्कि तिब्बत के अस्तित्व की लड़ाई है। तिब्बती अपनी जमीन और संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि चीन के विकास परियोजनाएं उपनिवेशवाद के एजेंडे का हिस्सा हैं।”

संगठन के राष्ट्रीय निदेशक तेनजिन पासांग ने कहा, “हर साल 1 अक्टूबर को पीआरसी इन अत्याचारों को छिपाने की कोशिश करती है। चीन सैन्य परेड और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के जरिए 75 साल के दमन को शांति और समृद्धि की कहानी बताने की कोशिश करता है। लेकिन हम सच्चाई जानते हैं। तिब्बतियों, उइगरों और हांगकांगवासियों को आजादी नहीं है और चीन का दमन उसकी सीमाओं से भी परे फैला हुआ है।”

यह भी पढ़ें - पाकिस्तान एयरलाइंस का विमान दुबई एयरपोर्ट पर हादसे का शिकार, फ्लाइट में सवार थे 172 यात्री

'स्टूडेंट्स फॉर ए फ्री तिब्बत-दिल्ली' के अध्यक्ष सोनम त्सेवांग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बत में बड़े विकास कार्यों पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा, “जब तक तिब्बती स्वेच्छा से अपनी सहमति नहीं दे सकते, तब तक इन परियोजनाओं पर रोक लगाई जानी चाहिए। चीन के 75 साल के दमनकारी शासन के बीच हम तिब्बतियों, उइगरों, हांगकांगवासियों और राजनीतिक कैदियों, जैसे तिब्बती पर्यावरण कार्यकर्ता आ-न्या सेंगद्रा, के लिए आजादी की मांग कर रहे हैं।”

china Indo-China tibbat china tibbat conflict china tibbat relation Indo China relations
Advertisment
Advertisment