China Spambots: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर प्रचार शुरू हो गया है. मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच डिबेट हुई. जिसमें कमला हैरिस कई मुद्दों पर ट्रंप को घेरती नजह आई. इसी के साथ चीन ने भी अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप की कोशिशों को तेज कर दिया है. इसके लिए चीन अमेरिकी सोशल मीडिया की निगरानी कर रहा है. मधुरेंद्र की इस रिपोर्ट में जानते हैं क्या है पूरा मामला.
अमेरिकी सोशल मीडिया पर चीन की नजर
दरअसल, चीन समर्थित प्रभाव ऑपरेशन "स्पैमौफ्लाज" 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर अमेरिकी मतदाताओं के रूप में विभाजनकारी नैरेटिव फैलाने की कोशिश कर रहा है. यह ऑपरेशन अमेरिकी राजनीतिक चर्चाओं को प्रभावित करने के लिए पहले से अधिक आक्रामक हो गया है. जिसका मकसद संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर मतभेद पैदा करना है.
ग्राफिका की जांच में पता चला है कि 15 स्पैमबॉट अकाउंट्स अमेरिकी सोशल मीडिया की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं. जो एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) और टिकटॉक पर अमेरिकी नागरिकों का रूप धारण कर शांति, मानवाधिकार और सूचना की सत्यता के समर्थन में नकली पोस्ट कर रहे थे. ये अकाउंट्स फर्जी मीडिया आउटलेट के रूप में कार्य कर रहे हैं. जिनका काम गलत जानकारी फैलाना है.
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फैलाया जा रहा आलोचना वाला कंटेंट
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव आते ही इन अकाउंट्स ने डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की आलोचना करने वाला कंटेंट फैलाना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही, यह अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया पर लोगों के विश्वास को कमजोर करने और विभाजनकारी नैरेटिव को बढ़ावा देने की कोशिश भी कर रहा है. ये ऑपरेशन प्रमुख राजनीतिक हस्तियों जैसे राष्ट्रपति जो बाइडेन, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को निशाना बना रहे हैं.
2019 से सक्रिय हैं ये अकाउंट्स
चीन समर्थित ये ऑपरेशन ड्रैगनब्रिज, ताईज़ी फ्लड या एम्पायर ड्रैगन के नाम से भी जाना जाता है. ये अकाउंट्स 2019 से सक्रिय हैं और 40 से अधिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर मौजूद है. इस अकाउंट के माध्यम से वीडियो, कार्टून और एआई-जनित कंटेंट के माध्यम से चीन समर्थित और पश्चिम विरोधी नैरेटिव फैलाया जा रहा है. बता दें कि साल 2023 के मध्य में इन स्पैमबॉट अकाउंट्स के जरिए अमेरिकी चुनावी उम्मीदवारों को बदनाम करने की कोशिश की जा चुकी है.
इस ऑपरेशन ने अमेरिकी मतदाताओं का रूप धारण करने वाले नकली पहचान वाले अकाउंट्स का इस्तेमाल बढ़ गया. इसमें कुछ अकाउंट्स ने ट्रंप समर्थक और रूढ़िवादी नैरेटिव को भी बढ़ावा दिया. इन अकाउंट्स पर नकली बायो, स्टॉक इमेज और समन्वित कंटेंट-शेयरिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. जो इनके स्पैम नेटवर्क से जुड़े होने का संकेत देते हैं. इनमें से कुछ अकाउंट्स ने चीनी भाषा में पोस्ट भी किए हैं, जिससे यह साफ होता है कि एआई का उपयोग या अनजाने में उत्पन्न सामग्री शामिल है.
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ऐसे हुई स्पैम ऑपरेशन की पहचान
बता दें कि इस स्पैम ऑपरेशन की पहचान "डीप रेड" जैसे नामों से हुई है, जिन्होंने खुद को अमेरिकी उपयोगकर्ताओं का रूप देकर रीब्रांड किया है. इसी तरह "हारलन रिपोर्ट" नामक एक अन्य स्पैम अकाउंट, खुद को एक अमेरिकी रूढ़िवादी समाचार आउटलेट के रूप में पेश करता है, जो ट्रंप का समर्थन करता है और बाइडेन की आलोचना करता है. ये स्पैम अकाउंट्स विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपनी पहचान बनाए रखते हैं. साथ ही एआई-जनित अवतारों का उपयोग करते हैं, साथ ही ये समन्वित कंटेंट भी साझा करते हैं.
बता दें कि चीन समर्थित यह प्रभाव ऑपरेशन 2024 के अमेरिकी चुनाव से पहले और अधिक सक्रिय हो गया है, जिसमें एआई-जनित कंटेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके जरिए राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. इन स्पैम अकाउंट्स ने अमेरिकी मतदाताओं का रूप धरते हुए विभाजनकारी नैरेटिव फैलाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अविश्वास पैदा करने की दिशा में नई-नई कोशिशें की हैं.