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चीन के साइबर हमलों और मनोवैज्ञानिक युद्ध का पर्दाफाश: ताइवान और भारत सहित वैश्विक सुरक्षा पर बड़ा खतरा

चीन की वैश्विक साजिशें और साइबर हमला ताइवान तक सीमित नहीं है. लीक दस्तावेज़ों में चेक गणराज्य सहित 20 से अधिक देशों और क्षेत्रों को संभावित लक्ष्यों के रूप में पहचाना गया है.

Mohit Sharma और Madhurendra Kumar
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China's cyber attacks

चीन के साइबर हमलों और मनोवैज्ञानिक युद्ध का पर्दाफाश: ताइवान और भारत सहित वैश्विक सुरक्षा पर बड़ा खतरा

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चीन किस तरह से भारत ताइवान सहित दुनिया के अन्य देशों में साइबर हमलों के जरिए बड़ा हस्तक्षेप कर रहा है, इस बारे में बड़ा खुलासा हुआ है. NHK वर्ल्ड के इस खुलासे ने चीन की ड्रैगन वाली चाल से एक बार और पर्दा उठा दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2024 में ताइवान की साइबर सुरक्षा फर्म Team T5x ने चीन के साइबर हमलों और वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियों का एक बड़ा खुलासा किया. 2WA दस्तावेजों के रूप में लीक हुई 577 फाइलों ने यह दिखाया कि चीन किस तरह से दुनिया भर में साइबर हमलों को अंजाम देने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. लीक से पता चला कि चीन के हैकिंग टूल्स न केवल व्यक्तिगत ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स को निशाना बना रहे थे, बल्कि कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स को भी दूर से नियंत्रित कर सकते हैं. इन तकनीकों का इस्तेमाल लोकेशन ट्रैकिंग और ऑडियो ब्लॉक करने के लिए भी किया गया.

लीक में 16,000 से अधिक चैट रिकॉर्ड सामने आए

इस लीक में 16,000 से अधिक चैट रिकॉर्ड सामने आए, जो सीधे तौर पर चीनी अधिकारियों और सेना से जुड़े हुए थे. इन रिकॉर्ड्स में ताइवान के विश्वविद्यालयों, खासकर चेंगची विश्वविद्यालय, को चीन की ओर से साइबर हमलों का निशाना बनाए जाने का खुलासा हुआ. यह विश्वविद्यालय ताइवान-चीन संबंधों पर शोध के लिए प्रसिद्ध है. चीन का इस तरह से ताइवान के शैक्षिक और शोध संस्थानों को निशाना बनाना, न केवल शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि ताइवान की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी गंभीर रूप से खतरे में डाल रहा है.

चीन की वैश्विक साजिशें और साइबर हमला ताइवान तक सीमित नहीं

चीन की वैश्विक साजिशें और साइबर हमला ताइवान तक सीमित नहीं है. लीक दस्तावेज़ों में चेक गणराज्य सहित 20 से अधिक देशों और क्षेत्रों को संभावित लक्ष्यों के रूप में पहचाना गया है. 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, चीन ने चेक सरकार के एक आंतरिक दस्तावेज को भी चुरा लिया था, जो ऊर्जा नीति से संबंधित था. यह स्पष्ट संकेत है कि चीन न केवल ताइवान, बल्कि यूरोप और अन्य देशों में भी साइबर हमलों के जरिए संवेदनशील जानकारी चुराने की कोशिश कर रहा है. इस तरह की गतिविधियों से वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है और चीन का आक्रामक साइबर रुख दुनिया भर के देशों के लिए चिंता का विषय बन चुका है.

HK वर्ल्ड की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

NHK वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक जांच में एक चीनी कंपनी ऐस का भी नाम सामने आया है, जो चीनी पुलिस और सरकारी एजेंसियों के लिए साइबर हमलों में मददगार तकनीकें उपलब्ध कराती थी. इस कंपनी के सीईओ मिस्टर एक्स और इंजीनियर मिस्टर गॉवर के चीन की सुरक्षा एजेंसियों से गहरे संबंध थे. ऐस ने चीनी पुलिस संगठनों के साथ मिलकर साइबर हमलों के उपकरण तैयार किए और इन्हें दुनियाभर में इस्तेमाल किया गया. इससे साफ होता है कि चीन की सरकारी एजेंसियां न केवल इन हमलों को प्रोत्साहित कर रही हैं, बल्कि सक्रिय रूप से इसमें शामिल हैं.

चीन "संज्ञानात्मक युद्ध" की रणनीति पर काम कर रहा

चीन सिर्फ साइबर हमलों से मनोवैज्ञानिक युद्ध तक  सीमित नहीं है. लीक हुए दस्तावेज़ों ने यह भी खुलासा किया कि चीन "संज्ञानात्मक युद्ध" की रणनीति पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य वैश्विक जनमत को गलत जानकारी के जरिए प्रभावित करना है. ताइवान में एक उदाहरण के तौर पर, एक फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट ने दावा किया कि भारतीय श्रमिकों की स्वीकृति से ताइवान की रक्षा क्षमताएं बढ़ेंगी. इस पोस्ट ने ताइवान में असंतोष फैलाया और विरोध प्रदर्शनों को उकसाया. यह रणनीति केवल ताइवान तक सीमित नहीं है; चीन ऐसी रणनीतियों का इस्तेमाल करके दुनियाभर में दुष्प्रचार फैला रहा है.

वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा पर खतरा

वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा चीन की ये साइबर गतिविधियां और मनोवैज्ञानिक युद्ध की रणनीतियां दुनिया भर की सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं. चीन अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों को साधने के लिए साइबर हमलों और गलत सूचनाओं का सहारा ले रहा है, जिससे वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा पर खतरा पैदा हो गया है. यह आवश्यक है कि सभी देश इन खतरों को गंभीरता से लें और मिलकर चीन के आक्रामक साइबर अभियान का मुकाबला करें.

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