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दिल्ली-NCR में सांस लेना- रोजाना 49 सिग्रेट पीने जैसा, वैश्विक मंच पर हुई चर्चा; कनाडा ने कहा- गरीबों की वित्तीय मदद करें

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. यह जहरीली हवा रोजाना 49 सिगरेट पीने के बराबर है. वैश्विक मंच पर अब इसकी चर्चा हो रही है.

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Jalaj Kumar Mishra
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Delhi NCR Air Pollution COP 24 Summit News in hindi

Delhi NCR Air Pollution COP 24 Summit News in hindi

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दिल्ली और एनसीआर वायु प्रदूषण की मार से परेशान है. दिल्ली-एनसीआर के लोग गैस चैंबर में रहने को मजबूर है. भारत की राजधानी दिल्ली के प्रदूषण के बार में अब दुनिया भर में चर्चा हो रही है. दूसरे देश भी दिल्ली के प्रदूषण पर चिंता जाहिर कर रहे हैं. दरअसल, अजरबैजान की राजधानी बाकू में कॉप-29 शिखर सम्मेलन चल रहा है. सम्मेलन में दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण पर चर्चा हुई.

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि दिल्ली का एक्यूआई खतरनाक स्तर पर है. कुछ क्षेत्रों में तो एक हजार माइक्रोगाम प्रति घन मीटर से अधिक कण प्रदूषण दर्ज किया गया है. प्रदूषण ब्लैक कार्बन, जीवाश्म ईंधन के जलने, खेतों में आग लगने और ओजोन से होता है. उन्होंने कहा कि हमने ऐसे समाधान चाहिए, जो सभी देशों पर लागू हो जाए.

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इस वजह से और खराब हो रही है हालत

एक्सपर्ट्स ने दिल्ली के प्रदूषण पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि यह रोजाना 49 सिगरेट पीन के बराबर है. खोसला ने वैश्विक मंच पर कहा कि ला नीना मौसम पैटर्न के कारण हवा की रफ्तार हवा प्रदूषणों को फंसा रही है. इस वजह से हालत और खराब हो रही है. 

ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ अलायंस की उपाध्यक्ष कोर्टनी हॉवर्ड ने कनाडा का एक अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि कनाडा के जंगल में पिछले साल 2023 में आग लग गई थी. इस वजह से 70 प्रतिशत आबादी को क्षेत्र खाली करना पड़ गया. अगर हमारे जैसे रईस देश के लिए यह इतना महंगा हुआ तो गरीब देशों को ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए वित्तीय मदद की आवश्यकता है. 

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बच्चों के फेफड़ों पर पड़ रहा है नकारात्मक असर

ब्रीथ मंगोलिया के सह-संस्थापक एन्खुन ब्याम्बादोर्ज ने अपने देश के गंभीर वायु प्रदूषण पर बात की. उन्होंने कहा कि हमारे देश के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के फेफड़ों की क्षमता ग्रामीण इलाकों की तुलना में 40 प्रतिशत कम है. जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं, वह एक समाज के रूप में हमने चुना है. लेकिन यह हवा हमारे बच्चों के भविष्य को नुकसान हो रहा है. 

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