Explained: इजराइल और हमास के बीच जारी जंग से एक बहुत बड़ी खबर सामने आई. इस खबर ने कई देशों के कान खड़े कर दिए. युद्ध के बीच हमास का चीफ इस्माइल हानिया मार गिराया गया. खास बात यह है कि हानिया ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए एक दिन पहले ही गया था. उसकी मौत के बाद हड़कंप मच गया है. बदले की आग में झुलस रहे इजराइल ने 9 महीने की जंग के बीच बुधवार 31 जुलाई 2024 को हमास चीफ की कहानी खत्म कर दी.
इस हत्या में सबसे ज्यादा खास बात है वो यह कि ये हत्या न तो गाजा में हुई है और न ही फिलिस्तीन में बल्कि इस्माइल हानिया को इजराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान में ढेर किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर कौन था इस्माइल हानिया, कैसे वह हमास का चीफ बना. आइए जानते हैं अपने इस लेख में इस्माइल हानिया की पूरी कुंडली.
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कौन था इस्माइल हानिया?
हमास का चीफ इस्माइल हानिया का जन्म एक शरणार्थी शिविर में हुआ था. बात 1962 की है. दरअसल इससे करीब 15 वर्ष पहले ही हानिया के माता-पिता अरब और इजराइल की जंग के दौरान अशकोन छोड़कर गाजा पट्टी पहुंच गए थे. यहां पर वह एक शरणार्थी शिविर में दिन गुजार रहे थे.
जिस शरणार्थी शिविर में इस्माइल हानिया ने अपनी आंखें खोली उसका नाम अल-शती था. 19 जनवरी 1962 में जन्मे हानिया का ये शरणार्थी शिविर उन दिनों मिस्त्र के कब्जे था. ऐसे में कहा जा सकता है कि हानिया का जन्म गाजा पट्टी पर तो हुआ लेकिन मिस्त्र इलाके वाले.
दो भाषाओं पर थी एक जैसी पकड़
शरणार्थी शिविर में होने के बाद भी इस्माइल हानिया की शिक्षा कमजोर नहीं थी. उसे दो भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी. 1989 में हानिया ने गाजा इस्लामिक यूनिवर्सिटी से अरबी साहित्य में स्नातक की डिग्री ली. इसके साथ ही उसे अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान था. अपने एजुकेशन के दौरान ही हानिया का जुड़ाव हमास संगठन से हो गया था. इस दौरान उसे मुस्लिम ब्रदरहुड के नेतृत्व वाली स्टूडेंट्स काउंसिल का चीफ बना दिया गया.
90 के दशक में हमास ने और बढ़ाया कद
जैसे-जैसे वक्त बीता इस्माइल हानिया फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास में अपनी जड़ें जमाने लग गया. 90 के दशक में हमास ने उसके कद में और इजाफा किया और उसे संगठन में प्रमुख फैसले लेने वाली टीम का सदस्य भी बना दिया गया. 1997 में भी हमास ने हानिया को और प्रमोट किया.
फिलिस्तीन का प्रधानमंत्री बना हानिया
हमास में अपनी जड़े मजबूत करने के साथ ही राजनीति में भी हानिया का पकड़ बढ़ती गई. 2000 के 2010 के बीच हानिया अपना कद काफी ऊंचा कर लिया. 2004 में इजराइल की एयर स्ट्राइक में हमास के संस्थापक अहमद यासीन की मौत हो गई. इसके दो साल बाद संसदीय चुनाव हुए तो इस्माइल हानिया फिलिस्तीन का प्राइम मिनिस्टर ही बन गया. माना जाता है इसके पीछे हमास का बड़ा हाथ था.
हालांकि हानिया का प्रधानमंत्री का सफर ज्यादा लंबा नहीं चल पाया. एक साल बाद यानी 2007 में ही उसे इस पद से हटना पड़ा. दरअसल 14 जून को हमास और फतह के बीच संघर्ष काफी बढ़ा इस दौरान तात्कालीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने एक बड़ा फैसला लिया और इस संघर्ष का जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने हानिया को पद से हटा दिया.
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2016 में हमास चीफ बना हानिया
हानिया की पकड़ लगातार हमास पर बढ़ती जा रही थी. प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उसका पूरा फोकस हमास पर ही था. इसका फल भी उसे मिला और वर्ष 2016 में इस्माइल हानिया हमास का प्रमुख बन गया. सितंबर के महीने में ही उसे हमास की कमान मिली थी. दो महीने के बाद हमास चीफ के तौर पर हानिया का कार्यकाल 8 साल का हो जाता, लेकिन इजराइल ने हानिया के आतंक का अंत कर दिया.
हानिया का कहानी हमास चीफ बनने तक ही खत्म नहीं हुई. इसके अगले साल यानी 2017 में उसे हमास का पॉलिटिकल चीफ भी चुना गया. यानी हमास के फैसलों पर अंतिम मुहर हानिया का ही लगना तय हो गया.
इस दौरान लगातार वह खुद को फिलिस्तीन का प्रधानमंत्री ही बताता रहा. हमास में उसने अपनी नींव इतनी मजबूत कर ली थी कि 2021 में हुए चुनाव में भी हानिया को ही निर्विरोध चुना गया.
जब अमेरिका की नजरों में खटकने लगा हानिया
हमास में पैर जमा रहे इस्माइल हानिया की मुश्किलें उस वक्त ज्यादा बढ़ गईं जब वह सुपर पॉवर कहे जाने वाले अमेरिका की नजरों में खटकने लगा. हानिया को अमेरिका ने 2018 में ही आतंकवादी घोषित कर दिया था. हालांकि हानिया हमास के साथ इतना आगे बढ़ चुका था कि उसका पीछे मुड़ना मुश्किल था.
लिहाजा वह लगातार आगे बढ़ता गया और इसके बाद आखिरकार उसने इजराइल के साथ जंग छेड़ दी. इस जंग में दोनों ओर से हमले हुए और तगड़ा नुकसान हुआ. खुद हानिया का परिवार अप्रैल के महीने में मार गिराया गया. इस दौरान हानिया के तीनों बेटों को मौत के घाट उतार दिया गया था.