प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ब्राजील में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. सत्र का विषय ‘सामाजिक समावेशन और भूख-पोषण के खिलाफ संघर्ष’ था. प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा को शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया और उनके सतत विकास लक्ष्यों पर केंद्रित एजेंडे की सराहना की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्राजील का यह दृष्टिकोण वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को उजागर करता है और नई दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन के जन-केंद्रित फैसलों को आगे बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता का संदेश ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ रियो वार्ता में भी गूंज रहा है.
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भारत का भूख और गरीबी से लड़ाई में नेतृत्व
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने बीते दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. उन्होंने कहा कि भारत में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने भारत के खाद्य सुरक्षा अभियान की सफलता का श्रेय ‘मूलभूत तरीकों की ओर वापसी और भविष्य की ओर अग्रसरता’ को दिया. उन्होंने भारत में महिला नेतृत्व विकास को बढ़ावा देने वाले कदमों का भी जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों के माध्यम से भारत न केवल अपने देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सामाजिक समावेशन और विकास के मॉडल पेश कर रहा है.
अफ्रीका और वैश्विक दक्षिण के लिए भारत का योगदान
प्रधानमंत्री ने अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया. उन्होंने ब्राजील के भूख और गरीबी के खिलाफ एक वैश्विक गठबंधन बनाने की पहल का स्वागत किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से प्रभावित वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि चल रहे वैश्विक संघर्षों ने इन संकटों को बढ़ावा दिया है, और जी20 को इन चिंताओं को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है.
समावेशन और विकास का वैश्विक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के विकास मॉडल को भूख और गरीबी से लड़ने के लिए एक प्रेरणा स्रोत बताया. उन्होंने कहा कि यह मॉडल सामाजिक समावेशन और सतत विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है. यह संबोधन भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता और जी20 मंच पर विकासशील देशों के हितों की वकालत करने के लिए उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.