जहां एक ओर भारत सुपर पावर बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ दुश्मन देश चीन भारत की कूटनीति सीख रहा है. हूबहू भारत की तर्ज पर ही शी जिनपिंग की सरकार अब अलग-अलग देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने में लगी है. हालिया तस्वीरें इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की है, जो इस वक्त चीन के पांच दिनों के दौरे पर हैं.
मालूम हो कि, मेलोनी ने रविवार को चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है, जिसमें उन्होंने चीन के साथ 3 साल के एक प्लान पर दस्तखत किए हैं. ऐसे में सवाल यह है कि, क्या इटली फिर एक बार चीन के BRI PROJECT ( बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) का हिस्सा बनने जा रहा है?
BRI PROJECT का विरोध
गौरतलब है कि, चीन की BRI परियोजना का भारत पुरजोर विरोध करता है. पाकिस्तान के द्वारा अवैध कब्जे वाले कश्मीर यानी POK भी इसका ही हिस्सा है. न सिर्फ इतना, बल्कि चीन की इस परियोजना का विरोध स्थानीय लोगों द्वारा भी किया जा रहा है, जिस वजह से चीन को बड़ा नुकसान भी हो रहा है. जिसने इसको तकरीबन फेल साबित कर दिया है.
मेलोनी के चीन यात्रा के क्या मायने?
दरअसल, साल 2022 में इटली के प्रधानमंत्री बनने के बाद मेलोनी की चीन की यह पहली यात्रा है. उनका यह दौरा पांच दिनों का है. मेलोनी की इस यात्रा को इटली चीन संबंधों को फिर से पटरी पर लाने से जोड़कर देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि मेलोनी चीन के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं. मेलोनी का कहना है कि, इटली और चीन के बीच जिस कोऑपरेशन मेमोरेंडम पर साइन हुआ है, उसमें इलेक्ट्रॉनिक मोबिलिटी और रिन्यूएबल जैसे इंडस्ट्रियल सेक्टर शामिल हैं.
चीनी प्रधानमंत्री Li Qiang के साथ बैठक में मेलोनी ने कहा कि, हमें बहुत काम आगे करना है और मुझे विश्वास है कि यह काम ना सिर्फ वैश्विक स्तर पर, बल्कि बहुपक्षीय स्तर पर भी महत्त्वपूर्ण है. इसके साथ ही मेलोनी ने बीते रविवार को इटली चीन बिजनेस फोरम में भी हिस्सा लिया, जिसमें कई बड़ी कंपनियों को आमंत्रित किया गया था. इस दौरान मेलोनी ने कहा कि, यह हमारे साझे हितों को दिखाता है.
वहीं चीनी प्रधानमंत्री लीक यांग ने कहा कि, इटली और चीन को मेंटालिटी से काम करना होगा और व्यापार और निवेश सहयोग बढ़ाना होगा, जिससे रिश्ते और ज्यादा टिकाऊ होंगे.
जब BRI PROJECT से बाहर हो गया था इटली..
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, 2019 में इटली चीन के BRI PROJECT में शामिल होने वाला G7 का एकमात्र देश था. हालांकि पिछले साल अमेरिका के दबाव में इटली इससे बाहर हो गया था. उस वक्त मेलोनी की सरकार ने कहा था कि, इससे इटली को कोई फायदा नहीं हुआ.