आज कयामत की रात है! मिडिल ईस्ट में जंग की आहट है.. खबर है कि, ईरान रातों-रात इजरायल को नस्ते नाबूद करने जा रहा है. इस जंगी साजिश में ईरान के साथ हिजबुल्लाह, हमास, यमन के हूती विद्रोही भी शामिल है. हालांकि ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सुपर पावर अमेरिका फुल एक्शन मोड में है. इजराइल की सुरक्षा के लिए अमेरिका ने ईरान के चारों तरफ चक्रव्यूह खड़ा कर दिया है.
अमेरिका ने समंदर से लेकर आसमान तक ईरान की ऐसी घेराबंदी की है कि अगर उसने इजराइल पर हमला करने की कोशिश तक की, तो पलक झपकते ही अमेरिका उसे धुआं धुआं कर देगा!
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
ऐसे में विश्व युद्ध की आशंका के बीच सवाल है कि- इस जंग का भारत पर क्या असर पड़ेगा? इसे समझने के लिए पहले हमें भारत के रुख को समझना होगा.. दरअसल, भारत का रुख इजराइल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर हमेशा न्यूट्रल रहा है.
भारत हमेशा बातचीत से शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है, लिहाजा माना यही जा रहा है कि जंग के हालातों में भी भारत तटस्थ रहेगा.
वहीं भारत में भी अलग-अलग पहलुओं पर इस जंग का असर हो सकता है. इन देसों में काम या किसी अन्य वजह से फंसे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकलवाना एक बड़ा चैलेंज है.
तेल आयात की रणनीति में बड़ा बदलाव
इसके साथ ही, भारत क्रूड ऑयल सप्लाई पर भी इस जंग का असर पड़ सकता है. भारत, क्रूड ऑयल का दो तिहाई हिस्सा इन्हीं युद्ध ग्रसित क्षेत्रों से खरीदता है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से भारत ने तेल आयात की रणनीति में बड़ा बदलाव कर दिया है. जिसके जरिए भारत अब रूस से ज्यादा तेल खरीद रहा है, लेकिन युद्ध शुरू होने पर तेल की सप्लाई पर असर पड़ सकता है. कच्चे तेल की कीमत $100 तक पहुंच सकती है, जिसका असर महंगाई पर देखने को मिल सकता है.