S. Jaishankar Maldives Visit: विदेश मंत्री एस. जयशंकर मालदीव की यात्रा पर हैं. शुक्रवार को उन्होंने अपने समकक्ष मूसा जमीर से राजधानी माले में मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया. इस मुलाकात के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव के साथ भारत की साझेदारी एक-दूसरे के कल्याण और हितों के लिए मिलकर काम करने की गहरी इच्छा पर आधारित है. विदेश मंत्री ने कहा इस बात पर जोर दिया कि भारत के माले के साथ संबंध हमारी 'पड़ोसी प्रथम' नीति की बुनियाद में से एक है.
मालदीव की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं विदेश मंत्री
बता दें कि मालदीव के बुलावे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर शुक्रवार को तीन दिवसीय यात्रा पर माले पहुंचे. इस यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में सुधार होगा. विदेश मंत्री की ये यात्रा मालदीव में पिछले साल चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद पहली यात्रा है. इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे. जो उनकी दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव के बाद पहली यात्रा थी.
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मालदीव के संबंधों पर क्या बोले विदेश मंत्री
मालदीव के अपने समकक्ष मूसा जमीर से मुलाताक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, "मालदीव के साथ भारत की साझेदारी एक-दूसरे के कल्याण और हितों के लिए मिलकर काम करने की हमारी गहरी इच्छा पर आधारित है." उन्होंने आगे कहा कि, यह एक ऐसी साझेदारी है जिसने हमें चुनौतियों का हमेशा तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाब देने में सक्षम बनाया है, जो पहले भी देखने को मिला है.
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विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव हमारी पड़ोसी प्रथम नीति की आधारशिलाओं में से एक है, यह हमारे विजन सागर साथ ही ग्लोबल साउथ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के लिए भी अहम है. विदेश मंत्री ने कहा कि हम इतिहास और रिश्तेदारी के सबसे करीबी सहयोगी भी हैं.
मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद बढ़ी थी तल्खी
बता दें कि मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है. उन्होंने नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति का पदभार संभाला. उसके राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में दरार आ गई. हालांकि कुछ महीनों बाद ही मुइज्जू को अहसास हो गया कि भारत के साथ संबंध खराब कर उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होने वाला बल्कि इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान ही होगा.
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इसके बाद मुइज्जू के तेवर बदल गए और वह जून में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए दिल्ली भी आए. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि यह यात्रा दोनों देशों द्वारा मिलकर हासिल की गई उपलब्धियों की समीक्षा करने तथा आने वाले सालों के लिए आकांक्षी खाका तैयार करने का मौका है.