मालदीव, भारत से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.. शनिवार को, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू ने भारत को मालदीव के "सबसे करीबी सहयोगियों में से एक" बताया है, साथ ही उनके निरंतर समर्थन के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को धन्यवाद दिया है. जिसके बाद द्वीपसमूह की मुख्य विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP)ने मुइज्जू के इस कदम का स्वागत किया है.
साथ ही भारत को मालदीव का सबसे विश्वसनीय भागीदार करार देते हुए, MDP प्रमुख और मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने मुइजू से उनके मंत्रियों की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों और झूठ के लिए मुइजू से सार्वजनिक माफी मांगने का आह्वान किया है.
भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने का किया काम
गौरतलब है कि, शाहिद ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात की, शाहिद ने एक एक्स पोस्ट भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा- "मालदीव को हमेशा से भरोसा रहा है कि जब भी मालदीव अंतरराष्ट्रीय 911 डायल करेगा तो भारत पहला उत्तरदाता होगा."
उन्होंने कहा कि, मुइजू सरकार द्वारा आक्रामक नारों के इस्तेमाल से भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने का काम किया है. इसके चलते मालदीव की अंतर्राष्ट्रीय साख में गिरावट दर्ज की गई, आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा.. साथ ही कई अन्य अनावश्यक कठिनाइयों और चुनौतियां का सामना करना पड़ा.
आगे उन्होंने कहा कि, इसी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए MDP पनी पिछली इंडिया आउट नीति से राष्ट्रपति मुइजू की सरकार की मालदीव-भारत नीति के अचानक पुनर्मूल्यांकन का स्वागत करती है.
क्यों हुआ था विवाद?
मालूम हो कि, मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के तहत दोनों देशों के रिश्तों के बीच मजबूती देखी गई थी.
हालांकि, अपने चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाने वाले राष्ट्रपति मुइजू ने मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग की थी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था. जो अब काफी हद तक ठीक होता नजर आ रहा है.