चीन ने पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए तरह-तरह के खतरनाक अभियान छेड़ रखे हैं. चीन में इस्लाम के इतिहास को मिटाने के लिए ड्रैगन ने एक और खतरनाक कदम उठाया है. आपको बता दें कि चीन ने दक्षिण एशिया से लेकर पश्चिमी देशों तक पूरी दुनिया को परेशान करके रखा है, इतना ही नहीं उसने तो अपने देश में भी कई खतरनाक अभियान छेड़ रखा है. चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर ढाए जा रहे जुल्मों की कहानी कौन नहीं जानता है. अब एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात खुलासा किया गया है कि कैसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने उइगर मुस्लिमों की संस्कृति को मिटाने और उनके इतिहास को जड़ से खत्म कर देने के लिए पूरे देश में अभियान छेड़ दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन के शिनजियांग प्रांत में डेटा प्रॉजेक्ट में इस अभियान की पोल पूरी तरह से खोली गई है. केल्सी मुनरो, तीला होजा, जेम्स लीबोल्ड और नेथन रूजर ने इस प्रोजेक्ट रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में 16 हजार मस्जिदों को पूरी तरह से ढहा दिया गया है या फिर उनके गुंबदों को तोड़कर मस्जिदों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. जब इस मामले की शिनाख्त के लिए मीडिया ने शिनजियांग की एक हजार सांस्कृतिक महत्व वाली साइट्स पर नजर डाली गई और पता चला कि उनमें से ज्यादातर इमारतें गायब हैं.
ड्रैगन ने की इस्लामिक इतिहास मिटाने की कोशिश
मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि साल 2017 में हुई कार्रवाई में न सिर्फ 10 लाख से ज्यादा उइगर मुसलमानों को हिरासत में लिया गया बल्कि उनकी संस्कृति और पहचान पर भी ड्रैगन ने हमला कर खत्म करने की कोशिश की है. इस घटना को 'संस्कृति नरसंहार' का नाम दिया गया है जिसके तहत उइगर मुस्लिमों के धार्मिकस्थलों और गैर-हान सार्वजनिक स्थलों को मिटा दिया गया. नेथन के मुताबिक उइगर के एक एकेडेमिक ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि उनकी संस्कृति को मिटाने का अभियान सोची-समझी कोशिश है जिससे लोगों को उनके इतिहास से अलग किया जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में आक्सू प्रीफेक्टर के डिप्टी सेक्रटरी ने सरकारी निकायों से कहा था- 'लोगों को गाइड करने में समय न बर्बाद करें, उनके रिवाज बदलें, पिछड़े, रुढ़िवादी रिवाजों को बंद करें.'
चीन में पहली बार कम हुई मस्जिदों की संख्या
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस वक्त शिनजियांग में सांस्कृतिक क्रांति के बाद से पहली बार इतनी कम मस्जिदें हैं. इस रिपोर्ट में इस बात का भी आकलन किया गया है कि अक्सू में लगभग 400 से भी ज्यादा कब्रिस्तानों को अपवित्र करके उनकी जगह दूसरी इमारतों के ढांचे खड़े कर दिए गए हैं. इसके अलावा साल 2015 में पार्टी के एक अधिकारी ने और CCP अधिकारी ने यह भी कहा था कि, 'शिनजियांग में धार्मिक गतिविधियों के लिए जरूरी मस्जिदों से ज्यादा हैं.' उन्होंने मस्जिदें गिराने की सलाह दी थी और रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि 8,500 मस्जिदें गिराई जा चुकी हैं. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह भी आशंका जताई गई है कि जो मस्जिदें अभी मौजूद हैं, वहां भी लोग प्रार्थना करने नहीं जाते हैं.
165 मजारों को भी ढहा दिया गया
ड्रैगन ने अपने इस अभियान में सिर्फ मस्जिदों को ही नहीं ढहाया है उसने मजारों सहित दूसरे सांस्कृतिक स्थलों को भी नहीं बख्शा है. चीन ने इस्लाम से संबंधित ऐसे 50 फीसदी धर्मस्थलों को भी ढहा दिया है जो कि आधिकारिक रूप से संरक्षित थे. साल 2017 में चीन की सरकार ने 20 किमी के इलाके में बुलडोजर चलाकर सब ढहा दिया था, आपको बता दें कि इन स्थानों पर कोई जाता भी नहीं था. सिर्फ एक परिवार को छोड़ा गया जो सरकार को वहां आने-जाने वालों के बारे में जानकारी देने का काम करता था. ड्रैगन ने 284 धार्मिक स्थलों को लोकेट किया था उनमें से 165 मजारों को ढहा दिया गया.
सदियों पुरानी मस्जिदें गिराकर मिटाई जा रही पहचान
इस रिपोर्ट में कारगिलिक की ग्रैंड मस्जिद का भी नाम लिया गया है आपको बता दें कि इस मस्जिद का निर्माण 1500 की सदी में करवाया गया था. तब से वह इस्लामिक मोजैक और आर्किटेक्चर की मिसाल थी. आपको बता दें कि इस मस्जिद को सरकारी हेरिटेज प्रोटेक्शन के तहत संरक्षित भी किया गया था लेकिन इस्लामिक इतिहास मिटाने की कोशिश के दायरहे में यह मस्जिद भी आ गई. इसके बाद साल 2018 में न सिर्फ इस मस्जिद को गिरा दिया गया बल्कि उस पर नोटिस लगा दिया गया कि किसी पार्टी के सदस्य, स्टूडेंट या सरकारी कर्मचारी को यहां प्रार्थना की इजाजत नहीं है. शिनजियांग में पुरानी इमारत को तोड़कर उसकी जगह अजीब सा छोटा ढांचा खड़ा कर दिया गया है. धार्मिकता गैरकानूनी है और उइगरों के लिए पब्लिक स्पेस और गैर-हान लोगों से उनकी पहचान छीनी जा रही है.
दुनियाभर के इस्लामिक देशों ने साधी चुप्पी
मीडिया की इस रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि ओर्डम मजार को ढहाए जाने के एक महीने के अंदर ही इन जगहों की स्टडी करने वाली राहिले दावुत नाम की महिला को गायब कर दिया गया था. दिसंबर 2017 के बाद से उनके परिवार को उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. उन्हें यह भी नहीं पता कि वह जिंदा हैं या नहीं. इस रिपोर्ट में शिनजियांग में हो रहे अत्याचार पर दुनिया की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं. इसमें कहा गया है कि दुनिया के दूसरे मुस्लिम भी इस पर खामोश हैं. सऊदी अरब और दूसरे खाड़ी के देश चीन का समर्थन करते हैं जबकि वह इस्लाम का अपमान करता है और उल्लंघन करता है.
Source : News Nation Bureau