लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 160 लोग घायल

65 घायलों को अस्पताल ले जाया गया है और 100 से अधिक लोगों का घटनास्थल पर ही उपचार चल रहा है.

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Nihar Saxena
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Lockdown Protest

सरकार विरोधी प्रदर्शन का चौथा महीना है.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में शनिवार को 160 से अधिक लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारी सरकार गठन में देरी से नाराज हैं. यहां सरकार विरोधी प्रदर्शनों का यह चौथा महीना है. झड़प के बाद शहर भर में सायरन की आवाजें गूंजने लगीं. रेड क्रॉस ने बताया कि 65 घायलों को अस्पताल ले जाया गया है और 100 से अधिक लोगों का घटनास्थल पर ही उपचार चल रहा है. मध्य बेरूत के एक चौराहे पर शनिवार शाम को प्रर्शनकारियों के तम्बुओं में आग फैल गई. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे पुरानी व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं और एक ऐसी नयी सरकार चाहते हैं जो देश के गहराते आर्थिक और नकदी के संकट को दूर कर सके.

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17 अक्टूबर से जारी है प्रदर्शन
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि आग लगने का कारण क्या है. लेबनान में प्रदर्शनों ने 17 अक्टूबर से फिर से जोर पकड़ा है. दरअसल देश का गहराता आर्थिक संकट लोगों की चिंता का कारण है और लोग नई सरकार के गठन का दबाव बना रहे हैं. नयी सरकार के गठन में फिलहाल कोई प्रगति नहीं हुई है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इसमें सभी राजनीतिक दलों को छोड़ कर स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाए. इससे पहले शहर भर में मार्च निकाले गए लेकिन संसद के निकट प्रदर्शनकारियों ने वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और बड़े बड़े गमले फेंके.

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नई सरकार में गठन में देरी
इसके बाद सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े. आंतरिक सुरक्षा बलों ने ट्वीट किया, 'संसद के एक प्रवेश द्वार पर दंगा रोधी पुलिस के साथ सीधी और हिंसक झड़पें हो रही हैं.' ट्वीट में आगे कहा गया, 'हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से अपील करते हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए दंगे वाले स्थान से दूर रहें.' लेबनान में कैबिनेट का गठन पेचीदा प्रक्रिया है, क्योंकि यहां देश के मुख्य राजनीतिक दलों और धार्मिक संप्रदाय के बीच तालमेल बैठाने वाली एक जटिल व्यवस्था है.

HIGHLIGHTS

  • 65 घायलों का अस्पताल और 100 से अधिक का घटनास्थल पर ही उपचार.
  • लेबनान में प्रदर्शनों ने 17 अक्टूबर से फिर से जोर पकड़ा है.
  • नयी सरकार की आशा जो देश के गहराते आर्थिक और नकदी के संकट को दूर कर सके.
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