कोरोना महामारी के बाद 2 करोड़ लड़कियां शायद ही कभी स्कूल लौट पाएं : मलाला

आप हर बच्चे को 12 साल तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए आवश्यक धनराशि कब देंगे? आप शांति को प्राथमिकता कब देंगे और शरणार्थियों की रक्षा कब करेंगे? आप कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए कब नीतियां पारित करेंगे?

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Ravindra Singh
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मलाला युसुफजई( Photo Credit : आईएएनएस)

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पाकिस्तानी शिक्षा कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने चेतावनी दी है कि वैश्विक कोविड-19 संकट खत्म होने के बाद भी 2 करोड़ लड़कियां शायद ही कभी स्कूल लौट पाएंगी. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक साइड इवेंट में शुक्रवार को मलाला ने स्वीकार किया कि कोविड-19 महिलाओं को शिक्षित करने के हमारे सामूहिक लक्ष्यों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है.

मलाला ने कहा, सिर्फ शिक्षा की बात करें तो, जब यह संकट खत्म हो जाएगा, उसके बाद भी 2 करोड़ लड़कियां शायद कभी भी कक्षा में नहीं लौट पाएंगी. उन्होंने कहा कि वैश्विक शिक्षा वित्त पोषण का अंतर पहले ही बढ़कर 20000 करोड़ डॉलर प्रतिवर्ष हो गया है. स्वात घाटी में स्कूल जाने को लेकर तालिबान आतंकवादियों द्वारा सिर पर गोली खा चुकी मलाला ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया कि पांच साल पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित स्थायी वैश्विक लक्ष्य उन लाखों लड़कियों के लिए भविष्य का प्रतिनिधित्व करते थे जो शिक्षा चाहते थे और समानता के लिए लड़ रहे थे.

यह देखते हुए कि उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पिछले पांच वर्षो में बहुत कम किया गया था, उन्होंने विश्व निकाय से पूछा, आप काम करने की योजना कब बना रहे हैं? उन्होंने आगे पूछा, आप हर बच्चे को 12 साल तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए आवश्यक धनराशि कब देंगे? आप शांति को प्राथमिकता कब देंगे और शरणार्थियों की रक्षा कब करेंगे? आप कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए कब नीतियां पारित करेंगे?

पिछले महीने जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक कोरोनावायरस महामारी इतिहास में शिक्षा प्रणालियों का सबसे बड़ा व्यवधान बना है. इससे 190 से अधिक देशों और सभी महाद्वीपों में करीब 160 करोड़ विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं. स्कूलों और अन्य शिक्षण स्थानों के बंद होने के कारण दुनिया की 94 प्रतिशत छात्र आबादी प्रभावित हुई है, वहीं निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में यह संख्या 99 प्रतिशत है.

Source : News Nation Bureau

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