अमेरिका ने ड्रोन हमला कर ईरानी कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया. जवाब में ईरान ने इराक में अमेरिका के दो ठिकानों पर हमला बोल दिया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आगे की कार्रवाई के बारे में बाद में बताने की बात कही है. हालांकि ट्रंप ने तीन दिन पहले ईरान को चेतावनी देते हुए कहा था, 'ईरान बदला लेने की धमकी दे रहा है. मैं ईरान को चेतावनी देना चाहता हूं कि अगर उसने किसी अमेरिकी या अमेरिकी ठिकाने पर हमला किया तो हमने ईरान के 52 ठिकानों की पहचान की है. (ईरान द्वारा बंधक बनाए गए 52 अमेरिकी बंदियों की याद में). इन 52 ईरानी ठिकानों में कई उच्च स्तर के हैं और ईरान और उसकी संस्कृति के लिए बेहद अहम हैं. इन ठिकानों पर बहुत तेजी से और बहुत विध्वंसक तरीके से निशाना बनाया जाएगा. इसलिए ईरान अमेरिका को और धमकी न दे तो ही अच्छा होगा.'
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पिछले रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइप पोंपियो ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्यहू से ईरान की बदनीयत और क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे पर बातचीत की थी. ईरान के बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर मिसाइले दागने से हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं और अब ईरान ने तो अमेरिका के दो ठिकानों पर हमला भी बोल दिया है.
बेंजामिन नेतान्यहू से बातचीत के बाद माइक पोंपियो ने कहा कि हमारी बातचीत का केंद्र ईरान की बदनीयती और क्षेत्रीय सुरक्षा पर मंडराता खतरा था. माइक पोंपियो ने आतंकवाद को पराजित करने के काम में इजरायल के तत्पर सहयोग का आभार भी जताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजरायल के रिश्ते कभी नहीं टूटेंगे. गौरतलब है कि इराक पर अमेरिकी ड्रोन हमले के बाद इजरायल खुलकर ट्रंप प्रशासन के पक्ष में आ खड़ा हुआ था. शीर्ष ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने पर इजरायल ने बयान जारी कर कहा था कि अमेरिका को आत्मरक्षा का अधिकार है.
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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्यहू ने कहा था, 'जिस तरह इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार है, वही अधिकार अमेरिका को भी है. कासिम सुलेमानी अमेरिकी नागरिकों समेत कई और निर्दोष लोगों की मौत का जिम्मेदार था. वह और भी ऐसे ही हमलों का साजिश रच रहा था.' हालांकि ईरान ने शनिवार देर रात बगदाद में अमेरिकी दूतावास के पास मिसाइल हमले कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह चुप बैठने वाला नहीं है. इसके बाद से पश्चिम एशिया के हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं.
Source : News Nation Bureau