Advertisment

चीन ने बॉर्डर पर बसाए भारत विरोधी 680 गांव, ये है एजेंडा

ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल के सलाहकार बोर्ड ने एक चौंकाने वाले खुलासे में जानकारी दी है कि चीन ने भारत के साथ अपनी सीमा पर 680 जियाओकांग यानी समृद्ध या संपन्न गांव बनाए हैं.

author-image
Nihar Saxena
New Update
China Villages

उन्नत तकनीक से फैला रहे भारत विरोधी भावनाएं.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल के सलाहकार बोर्ड ने एक चौंकाने वाले खुलासे में जानकारी दी है कि चीन ने भारत के साथ अपनी सीमा पर 680 जियाओकांग यानी समृद्ध या संपन्न गांव बनाए हैं. ये गांव भारतीय ग्रामीणों को एक बेहतर चीनी जीवन की ओर आकर्षित करने के लिए हैं. आने वाले समय में ये भी बीजिंग के लिए अतिरिक्त आंख और कान के रूप में काम करने वाले हैं. चीन ने लगभग 680 जि़याओकांग का निर्माण किया है, जिसे वे अपनी सीमाओं पर और भूटान की सीमाओं पर गांव कहते हैं. इन गांवों में उनके लोग रहते हैं और स्थानीय भारतीय आबादी को प्रभावित करते हैं कि चीनी सरकार कितनी अच्छी है.

स्थानीय लोगों को भारत विरोधी बनाने की कोशिश
ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल के सलाहकार बोर्ड के एक सदस्य कृष्ण वर्मा ने बताया, ये उनकी ओर से खुफिया अभियान, सुरक्षा अभियान हैं. वे लोगों को भारत विरोधी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए हम अपने पुलिस कर्मियों को इन प्रयासों के बारे में प्रशिक्षण दे रहे हैं और उन्हें उनकी हरकतों का मुकाबला करने के लिए संवेदनशील बना रहे हैं. भारत सरकार (जीओआई) के पूर्व विशेष सचिव वर्मा शुक्रवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) में 16 परिवीक्षाधीन उप अधीक्षकों (डीवाईएसपी) के लिए 12 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर एक कार्यक्रम में थे. वह आरआरयू में मीडिया के साथ एमेरिटस रिसोर्स फैकल्टी, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल कोऑपरेशन, सिक्योरिटी एंड स्ट्रैटेजिक लैंग्वेजेज भी हैं.

यह भी पढ़ेंः जिनेवा में लगे पाकिस्तान विरोधी नारे, आतंकी शिविर खत्म करने की मांग

भारत के सीमावर्ती राज्यों के लिए विशेष पाठ्यक्रम
वर्मा ने कहा, 'इसलिए आरआरयू ने अरुणाचल प्रदेश पुलिस के लिए एक विशेष दर्जे का पाठ्यक्रम तैयार किया है, ताकि घुसपैठ के चीनी प्रयासों का मुकाबला किया जा सके. आरआरयू डिजाइन किया गया कार्यक्रम पूर्वोत्तर राज्य की जरूरतों के लिए खास है और अरुणाचल प्रदेश डीजीपी आरपी उपाध्याय के परामर्श से बनाया गया था, जो दो महीने पहले गुजरात आए थे.' आरआरयू सत्रों ने कर्मियों को न केवल फोरेंसिक और जांच तकनीकों में प्रशिक्षित किया, बल्कि डार्क वेब, साइबर अपराध और अपराध स्थल प्रबंधन, इंटरनेट बैंकिंग, धोखाधड़ी, फर्जी समाचार का पता लगाने, चीनी और पूर्वोत्तर में पुलिस अधिकारियों के लिए आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का परिचय भी दिया.

यह भी पढ़ेंः राहुल-पायलट की मुलाकात से दिल्ली में लॉबिंग ने पकड़ी रफ्तार

चीनी कर रहे भारतीयों को गुमराह
वर्मा ने आगे कहा, 'वे (चीनी) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत उन्नत हैं, विशेष रूप से इंटरनेट और सोशल मीडिया. वे भारत के लोगों को गुमराह करने के लिए झूठी खबरें फैलाने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों का उपयोग कर रहे हैं इसलिए हमने उन्हें ये सिखाया. पूर्वोत्तर सीमा क्षेत्र हैं बहुत संवेदनशील है और उनके लिए तोड़फोड़ के ऐसे प्रयासों के बारे में जानना नितांत आवश्यक है. हम उन्हें मंदारिन (चीनी भाषा) भी सिखा रहे हैं क्योंकि घुसपैठ करने वाले लोग इसे बोलते हैं. विश्वविद्यालय ने एक साल का पाठ्यक्रम तैयार किया है जो भाषा का बुनियादी ज्ञान देता है. भविष्य में आरआरयू की भी योजना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में, पोस्ट ग्रेजुएशन के पांच साल के पाठ्यक्रम के साथ आने वाले हैं, जहां वे अपनी संस्कृति, इतिहास, उनकी जरूरतों, आदतों, उनकी नीतियों को समझेंगे.'

HIGHLIGHTS

  • चीन ने सीमा पर 680 जियाओकांग यानी समृद्ध गांव बनाए
  • इनके जरिये स्थानीय भारतीयों को भारत विरोधी बनाने की कोशिश
  • चीनी गांवों में रहने वाले इंटरनेट और सोशल मीडिया में दक्ष
INDIA चीन भारत china Villages Threat खतरा Border सीमा India Hate Misguided गांव भारत विरोधी
Advertisment
Advertisment