यमन में युद्ध के तीन साल के भीतर पांच साल की कम उम्र के अनुमानित 85 हजार बच्चों की मौत अत्याधिक कुपोषण से हुई है. एक प्रतिष्ठित धर्मार्थ संगठन ने इस बात की जानकारी दी. धर्मार्थ संगठन सेव द चिल्ड्रेन यमन के निदेशक तामेर किरोलोस ने कहा कि बच्चों ने बहुत तकलीफ सही, उनके मुख्य अंगों के काम करने की गति धीमी हो गई थी और फिर इन अंगों ने काम करना बंद कर दिया.
संस्था के मुताबिक, बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर हो गई थी, उनमें संक्रमण की प्रवणता अधिक थी. उनमें से कुछ तो इतने कमजोर थे कि उनमें रोने की भी शक्ति नहीं थी.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, किरोलोस ने कहा, 'बमों व गोलियों से मारे गए प्रत्येक बच्चे की मौत और दर्जनों की भूख से हुई मौत को पूर्ण रूप से रोका जा सकता था. परिजनों ने अपने बच्चों को मरते हुए देखा और वे कुछ भी करने में सक्षम नहीं थे.'
उन्होंने चेतावनी दी कि हुदयदाह में अनुमानित डेढ़ लाख बच्चों की जिंदगी खतरे में हैं, जहां बीते कुछ सप्ताह से शहर पर हवाई हमलों ने 'नाटकीय रूप से' वृद्धि हुई है.
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सेव द चिल्ड्रन ने कहा कि यह आकंड़े संयुक्त राष्ट्र द्वारा अत्यंत गंभीर कुपोषण से पीड़ित पांच साल की उम्र से कम के बच्चों के इलाज न किए गए मामलों पर संग्रहित डेटा पर आधारित हैं.
Source : IANS