कोलंबो पोर्ट के वेस्टर्न कंटेनर टर्मिनल (डब्ल्यूसीटी) का निर्माण बुधवार से शुरू होने के साथ ही अदाणी ग्रुप श्रीलंका में पहला भारतीय पोर्ट ऑपरेटर बन जाएगा. ग्रुप के पास वेस्ट कंटेनर इंटरनेशनल टर्मिनल ज्वाइंट वेंचर (जेवी) में बहुमत हिस्सेदारी होगी, जिसका मूल्य 70 मिलियन डॉलर है. बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) समझौता, जिसे 35 वर्षो तक वैध रहना है, उसे श्रीलंका के बंदरगाह इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश कहा जाता है. राज्य द्वारा संचालित श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी के पास 15 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि स्थानीय कंपनी जॉन कील्स की संयुक्त परियोजना में 34 फीसदी हिस्सेदारी होगी.
2019 में पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) के विकास पर भारत और जापान के साथ हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन, श्रीलंकाई ट्रेड यूनियनों और कुछ राजनीतिक दलों के विरोध के बाद वापस ले लिया गया था. हालांकि मार्च 2021 में, श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने एसएलपीए और भारतीय और जापानी सरकारों द्वारा नामित निवेशकों के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से डब्ल्यूसीटी के विकास के लिए स्वीकृति प्रदान की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, परिचालन शुरू होने के बाद, टर्मिनल से कोलंबो पोर्ट की क्षमता सालाना तीन मिलियन टीईयू तक बढ़ने की उम्मीद है.
रिपोर्टों में आगे कहा गया है कि कोलंबो के ट्रांस-शिपमेंट वॉल्यूम का लगभग 45 प्रतिशत भारत में एक अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) टर्मिनल से शुरू होता है या उसके लिए नियत होता है. डब्ल्यूसीटी के निर्माण का पूरा होना 2024 तक निर्धारित है.
Source : IANS