अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आने के बाद पलायन और आंतरिक विस्थापन जारी है. लाखों लोग देश छोड़ चुके हैं तो हजारों लोग अपना घर-बार छोड़ कर देश के अंदर ही विस्थापन के शिकार है. एक आंकड़े के अनुसार अफगानिस्तान में लगभग 40 लाख लोग इंटरनली डिस्प्लेस्ड (आंतरिक विस्थापित) हुए हैं. नार्थ ईस्ट और ईस्टर्न अफ़ग़ानिस्तान से सबसे ज़्यादा विस्थापन हुआ है. विस्थापितों का यह कारवां सुरक्षित ठिकाना खोजने के चक्कर में अपनी जड़ों से दूर जा रहा है. अफगानिस्तान के कुंदूज़ प्रांत से 40 हज़ार से ज़्यादा लोगों के विस्थापन की खबर है. विस्थापितों की यह परिघटना पूरे देश में देखी जा रही है. लेकिन आंकड़ों के अनुसार नांगरहार प्रांत से 25 हज़ार से ज़्यादा लोगों का विस्थापन हुआ है. इसी तरह हेलमंड प्रांत से 5 हज़ार से ज़्यादा लोगों के विस्थापन की खबर है. कुनार प्रोविंस से 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों का विस्थापन हुआ है.
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जुलाई से 15 अगस्त तक 17,600 लोग क़ाबुल पहुंचे. अफगानिस्तान का हर शख्स डरा हुआ है. पंजशीर घाटी में तालिबान का विरोध हो रहा है. वहां से पलायन की खबर नहीं है. अफगानिस्तान के 22 लाख लोग पहले से ही पड़ोसी देशों में बतौर रेफ्यूजी शरण लिए हुए हैं.1 लाख 23 हज़ार लोगों को यूएस और उसके सहयोगी फ़ोर्स ने एयरलिफ्ट किया है
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर का अनुमान है कि आने वाले महीनों में अगर स्थिति और बिगड़ती है तो अफगानिस्तान से करीब पांच लाख लोग पलायन कर सकते हैं. यूएनएचसीआर का कहना है कि पिछले हफ्ते तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति "अनिश्चित बनी हुई है और उसमें तेजी से बदलाव आ सकती है.’’
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का अनुमान है कि सिर्फ इस साल सशस्त्र संघर्ष के कारण अफगानिस्तान में 5,58,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं. उनमें से हर पांच लोगों में से चार महिलाएं और बच्चे हैं.
विस्थापन की इस प्रक्रिया में सबसे अधिक परेशानी बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों और बीमार को उठाना पड़ रहा है. वैश्विक एजेंसियों का अनुमान है कि विस्थापन की यह प्रक्रिया जारी रही तो देश में कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका है. दूसरे अफगानिसतान में खाद्य पदार्थों और दवाओं आदि की कमी पड़ सकती है.
HIGHLIGHTS
- अफगानिस्तान में लगभग 40 लाख लोग हुए आंतरिक विस्थापित
- जुलाई से 15 अगस्त तक 17,600 लोग क़ाबुल पहुंचे
- अफगानिस्तान के 22 लाख लोग पहले से ही पड़ोसी देशों में बतौर रेफ्यूजी शरण लिए हैं