अफगानिस्तान में तालिबान के पूर्ण कब्जे के बाद वहां भारत समेत कई देशों के नागरिक फंसे हुए हैं. दुनियाभर की सरकारें अफगानिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जिसकी वजह वहां तालिबानियों द्वारा मचाया जा रहा आतंक है. इस बीच अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालने का मिशन जारी है. काबुल से भारतीयों को लाने पहुंचा विमान तजाकिस्तान एयरपोर्ट पहुंच गया है. यह सी-17 विमान 85 लोगों को लेकर आज स्वदेश लौटेगा. जानकारी के अनुसार विमान आज यानी शनिवार को देर शाम हिंडन एयरबेस पर लैंड करेगा.
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संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने बताया कि अफगानिस्तान में स्थिति बेहद अस्थिर बनी हुई है. अफगानिस्तान के अंदर मानवीय प्रतिक्रिया के लिए समर्थन की तत्काल आवश्यकता है. सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) की प्रवक्ता शबिया मंटू ने शुक्रवार को यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि 15 अगस्त को तालिबान द्वारा देश पर कब्जा करने के बाद से व्यापक लड़ाई में कमी आई है, लेकिन विकसित स्थिति का पूरा प्रभाव अभी तक नहीं पड़ा है. मंटू ने कहा कि अधिकांश अफगान नियमित चैनलों के माध्यम से देश छोड़ने में सक्षम नहीं थे, उन्होंने कहा कि कुछ 200 यूएनएचआरसी सहयोगी अफगानिस्तान में बने हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने प्रेस वार्ता में कहा कि डब्ल्यूएचओ भी अफगानिस्तान में रहने और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है.
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उन्होंने कहा कि 2021 की शुरूआत में, अफगानिस्तान की आधी आबादी, जिसमें चार मिलियन से अधिक महिलाएं और लगभग दस मिलियन बच्चे शामिल हैं, को पहले से ही मानवीय सहायता की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, एक तिहाई आबादी तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही थी और पांच साल से कम उम्र के सभी बच्चों में से आधे से अधिक कुपोषित थे. मौजूदा सूखे से उन आंकड़ों के बढ़ने की उम्मीद है. डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता के अनुसार, अफगानिस्तान में अधिकांश प्रमुख स्वास्थ्य सुविधाएं काम कर रही हैं, और स्वास्थ्य कर्मचारियों को महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित अपने पदों पर लौटने या रहने के लिए बुलाया गया है.
Source : News Nation Bureau