पूर्व अफगान मेयर जरीफा गफारी ने कहा कि मैं तालिबान नेताओं से बात करना चाहती हूं. मैं जिम्मेदारी ले रही हूं. मैं अपने पिता की मृत्यु को भी भूल रही हूं. मैं हर मौन महिला की ओर से उनके साथ बातचीत करना चाहती हूं. उन्होंने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में मेरे घर आए, वे मुझे ढूंढ रहे थे और उन्होंने मेरे हाउस गार्ड को भी पीटा. उनके पास उन लोगों की सूची है जिन्होंने पहले उदार दृष्टिकोण अपनाया था. आपको बता दें कि ज़रीफ़ा गफ़री काबुल के पश्चिम में स्थित मैदान शहर की देश की पहली महिला महापौरों में से एक हैं.
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उन्होंने कहा कि "अफगानिस्तान हमारा था और यह हमारा रहेगा... अगर मेरे जैसी महिलाएं अब नहीं हैं तो ऐसा इसलिए है क्योंकि... एक बाघ की तरह जो दो कदम पीछे हटकर और अधिक बल के साथ वापस आएंगी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भूमिका बहुत स्पष्ट है, अफगानिस्तान का हर बच्चा यह जानता है. उन्होंने कहा कि क्या आप जानते हैं कि वे (तालिबान) मेरे जैसे लोगों को क्यों मार रहे हैं? क्योंकि वे नहीं चाहते कि दूसरे लोग जानें कि वे क्या हैं. वे नहीं चाहते कि अफ़ग़ान उनके ख़िलाफ़ खड़े हों.
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अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के लिए धीरे-धीरे बढ़ रहा प्रतिरोध प्रतीकात्मक हो सकता है, जोकि नए शासकों और कुछ मायनों में पाकिस्तान में उनके बाहरी समर्थकों और आकाओं के लिए खतरे की घंटी का कारण बनने के लिए पर्याप्त है. जब सार्वजनिक भावना की अभिव्यक्ति की बात आती है तो प्रतीक मायने रखते हैं और अफगान झंडा रैली का बिंदु बन गया है. तालिबान के काबुल पर नियंत्रण करने के चार दिनों के भीतर, कई अफगानों ने अपने पारंपरिक नए साल को नवरोज को राष्ट्रीय झंडा फहराकर मनाया. जबकि शहरों में इन विरोधों ने मीडिया में अपनी जगह बना ली है, ग्रामीण इलाकों में वे रिकॉर्ड नहीं किए गए हैं. लोग असदाबाद, जलालाबाद और काबुल में सड़कों पर उतर आए, असदाबाद से कई मौतों की सूचना मिली क्योंकि तालिबान ने स्पष्ट रूप से भीड़ पर गोलियां चलाईं। इसके अलावा, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने याद दिलाया कि तालिबान ने जुलाई में गजनी में हजारा समुदाय के सदस्यों का नरसंहार किया था.
Source : News Nation Bureau