अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी के एक बड़े भाग पर कब्जे का दावा करने वाले तालिबान के हाथ एक बड़ा खजाना लगा है. तालिबान की ओर से दावा किया गया है कि यह खजाना किसी और का नहीं, बल्कि अमरुल्लाह सालेह का है. तालिबान को अकूत संपत्ति के तौर पर यह खजाना सालेह के घर से मिला है. बताया जा रहा है कि तालिबान को सालेह के घर से 6.5 मिलियन डॉलर (करीब 48 करोड़ रुपये) मिले हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस खजाने में तालिबान के हाथ सोने की ईंट तक लगी हैं. आपको बता दें कि अमरुल्ला सालेह खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति होने का दावा करते हैं.
दरअसल, तालिबान की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है. इस वीडियो में तालिबान के कुछ लड़ाके डॉलर की गड्डियों को एक बैग में भरते नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही उनके पास ही रखीं सोने की ईंटें भी दिखाई दे रही हैं. माना जा रहा है कि अगर तालिबान के दावे में थोड़ी भी सच्चाई निकलती है तो इससे विद्रोहियों के आंदोलन को बड़ा झटका लग सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले तालिबानी अमरुल्ला सालेह के घर तक पहुंच गए थे. उन्होंने सालेह के घर पर भी कब्जा कर लिया था.
वहीं, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने पूर्व सरकार के त्वरित पतन के लिए अफगानिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है. टोलो न्यूज ने रविवार को बताया कि स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि पूर्व सरकार के पतन के लिए अमेरिका और नाटो जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने कहा, "अफगान सुरक्षा बलों के कुछ हिस्सों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी. लेकिन वे देश को सुरक्षित करने में असमर्थ रहे, क्योंकि अंतत:, अफगान राजनीतिक नेतृत्व तालिबान का सामना करने और उस शांतिपूर्ण समाधान को प्राप्त करने में विफल रहा जो अफगानी चाहते थे." उन्होंने कहा, "अफगान नेतृत्व की इस विफलता के कारण आज हम इस त्रासदी का सामना कर रहे हैं." स्टोल्टेनबर्ग के अनुसार, यूएस-नाटो सैनिकों की वापसी पूर्व नियोजित थी, और यह अफगान राज्य के पतन का कारण नहीं था.
Source : News Nation Bureau