तालिबान प्रमुख का फरमान, अफगानिस्तान की महिलाएं पर्दा के लिए पहने 'चदोरी'  

तालिबान की धार्मिक पुलिस ने राजधानी काबुल के चारों ओर पोस्टर लगाकर अफगान महिलाओं को पर्दा करने का आदेश दिया था.

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Pradeep Singh
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अफगान महिलाएं( Photo Credit : TWITTER HANDLE)

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अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान का असली रूप अब सामने है. तालिबान शुरू से ही महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का विरोधी रहा है. अफगानिस्तान में 15 अगस्त 2021 को सत्ता परिवर्तन के बाद यह कहा जा रहा था कि तालिबान अब बदल गया है. पिछले कार्यकाल के दौरान जो गलतियां तालिबान ने किया था अब उससे सबक लेते हुए वह उसे नहीं दोहरायेगा. ऐसा कहने वालों में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से लेकर इस्लामिक देशों के कई प्रमुख हस्तियों का नाम शामिल है. लेकिन महिलाओं के लेकर तालिबान का नजरिया बदला नहीं है.

तालिबान ने शनिवार को एक फरमान जारी किया जिसमें अफगान महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनने का आदेश दिया गया है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने यह फरमान जारी किया था और बाद में तालिबान अधिकारियों ने काबुल में एक समारोह में इसे जारी किया गया. उन्होंने कहा, "उन्हें 'चदोरी (सिर से पैर तक बुर्का)' पहनना चाहिए क्योंकि यह पारंपरिक और सम्मानजनक है."

हालांकि यह फरमान नया है, तालिबान अगस्त में सत्ता में लौटने के बाद से महिलाओं को खुद को ढकने के लिए मजबूर कर रहा है. इससे पहले तालिबान की धार्मिक पुलिस ने राजधानी काबुल के चारों ओर पोस्टर लगाकर अफगान महिलाओं को पर्दा करने का आदेश दिया था.

सद्गुण के प्रचार और कदाचार रोकथाम मंत्रालय ने कैफे और दुकानों पर पोस्टर चिपकाया. पोस्टरों में चेहरा ढकने वाले बुर्के की तस्वीर थी. तस्वीर के साथ पोस्टर पर एक संदेश लिखा है, "शरिया कानून के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं को हिजाब जरूर पहनना चाहिए."

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तालिबान ने 1990 के दशक में अपने शासन के दौरान महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया था. काबुल में महिलाएं पहले से ही अपने बालों को स्कार्फ से ढकती हैं, हालांकि बहुत मामूली संख्या में महिलाएं पश्चिमी कपड़े पहनती हैं. हालांकि, मीडिया  के अनुसार, काबुल के बाहर बुर्का पहनना आम रहा है.

अब, तालिबान इस नए फरमान के साथ अफगानिस्तान में हर महिला को पूरी तरह से बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रहा है. पिछले साल दिसंबर में, तालिबान ने एक और दमनकारी निर्देश जारी किया कि सड़क मार्ग से लंबी दूरी की यात्रा करने वाली अफगान महिलाओं को केवल एक पुरुष रिश्तेदार के साथ यात्रा में जाना चाहिए.

इसके अलावा, तालिबान ने लड़कियों के लिए सभी माध्यमिक विद्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया था, तब अफगानिस्तान में तालिबान शासन की दुनिया भर में निंदा बढ़ गई थी. कई कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने तालिबान से लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालयों पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

मनोवैज्ञानिकों ने कहा है कि तालिबान द्वारा स्कूलों में जाने पर प्रतिबंध लगाने वाली छठी कक्षा से ऊपर की अफगान छात्राओं को इस कदम के कारण मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है. एचआरडब्ल्यू के अनुसार, महिलाओं और लड़कियों को भी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंचने से रोक दिया गया है. रिपोर्टों से पता चलता है कि हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं और लड़कियों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं है.

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